naari
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सुनो, माँ हमारी मेडम ने बताया है कि जब एक स्त्री किसी शिशु को जन्मती है तब उसे शरीर में, एक साथ कई हड्डियां टूटने जितना दर्द होता है। फिर उसके आगे पिता की यह आए दिन की फटकार तो कुछ भी नही है ना, अर्शी ने उसकी सिसकती माँ के कंधे पर हाथ रख उसे समझाते हुए कहा।
और माँ मेडम कहती है कि ईश्वर ने एक स्त्री को अंतर से इतनी मजबूत व सहनशील शायद इसीलिए बनाया है ताकि वह इस संसार चक्र की धुरी बनकर इसे गतिमान कर सके। उसकी बात सुन अब माँ सिसकती हुई बुदबुदाई, तो फिर ईश्वर के बनाए उसी संसार में आखिर ये पुरुष हम औरतों को सदैव खुद से कमजोर व कमतर ही क्यो आंकते है।
