नाम
नाम
सागर के मुहाने पर नाम अपना सजाया था, लेकिन लहर का दु:साहस आई और नाम मिटाकर चली गई। यह सारा मंजर अति दु:खदाई था। इतने विशालकाय समुंदर में तनिक सी जगह से तुझे क्या फर्क पड़ रहा था। लहर से नाराजगी जताई थी।
"मैंने तो आपके नाम की गागर को उस सागर की अथाह गहराइयों में समाया है, जहाँ पर अकूत खजाने के असली भंडार है।" सागर के मुहाने पर तो केवल फिसलती रेत के अलावा और कुछ भी नहीं है। असली आनंद की अनुभूति किनारे पर है या सागर की अथाह गहराईयों में आत्मसात होने में …?