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Chandresh Kumar Chhatlani

Inspirational

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Chandresh Kumar Chhatlani

Inspirational

नाकारा

नाकारा

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"इसका बड़ा भाई कितना बड़ा तैराक है। काश! इसके पैर ठीक होते तो... यह भी..."

जूते पहनते समय रोज़ की तरह वह अपने छोटे बेटे को कोस रहा था कि एक मछुआरा भागता हुआ आया और हाँफते हुए बोला, "तेज़ हवा से तुम्हारे बेटे की नाव बीच समुद्र में झरने वाली जगह से पलट गयी और वह अकेला फंस गया है।"

सुनते ही उसके हाथ से जूते छूट कर नीचे गिर गए और वह दौड़ कर समुद्र तट पर पहुंचा। वहां देखा कि छोटा बेटा भी पता नहीं कैसे पहले ही पहुंचकर नाव खेकर जा रहा है। वह चिल्लाया "बहुत तेज़ हवा चल रही है... तूफान आ सकता है..." लेकिन छोटा बेटा उसे अनसुना कर दूर निकल गया।

तेज़ हवा धीरे-धीरे तूफ़ान में बदल रही थी। उन्हीं हवाओं के बीच सिर पर हाथ रखकर वह वहीं बैठ गया। उसके दुःख में बाकी सभी मछुआरे मित्र भी शामिल हो गए।

लगभग दो घंटे बाद हवा शांत हो चुकी थी। एक-दो मछुआरे उठ कर अपनी नावें खोलने लगे, ताकि उसके बेटों को ढूंढ सकें। उनमें से एक मछुआरा चिल्लाया, "देखोsss"

सभी के साथ उसने भी गर्दन उठा कर देखा कि वही नाव लौट रही है। दूर से तो वह नाव खाली दिखाई दे रही थी लेकिन ध्यान से देखने पर उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ कि उसी नाव में दोनों बेटे भी हैं। उसके साथ खड़े मछुआरे ने खुश होकर पूछा, "छोटे ने नाव चलाना और तैरना कब सीखा? वो भी पैरो में परेशानी होने के बावजूद!"

उसने आँसू पोंछते हुए कहा,

"तैरना नहीं आता लेकिन यह नाकारा आज इंग्लिश चैनल पार कर आया।"


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