ना उम्र की सीमा हो.....
ना उम्र की सीमा हो.....
प्यार किसी बंधन को नहीं मानता। न वो उम्र देखता है और न ही उसे लोगों की परवाह होती है। प्यार तो बस हो जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ काम्या के साथ जिसने समाज, परिवार और अपने बच्चों के भारी विरोध के बावजूद ५० की उम्र में दोबारा ३५ साल के युवक से शादी कर अपने प्यार को मुकाम तक पहुंचाया।
काम्या महज २५ वर्ष की थी जब उसके पति का देहांत हो गया। उस वक्त कोई उसकी परवाह करने वाला नहीं था। वह अकेले २० सालों से एक बेकरी में काम कर के अपने दो बच्चों का पालन-पोषण और उनकी पढ़ाई का खर्चा उठा रही थी। काफी मेहनत के बाद आखिरकार उसकी आर्थिक स्थिति ठीक हुई और उसने एक रेस्टोरेंट खोल लिया फिर जो आमदनी हुई उससे उसने शहर में ज़मीन खरीदकर घर बनाया और अपने बच्चों की शादी भी की।
काम्या अपनी सारी जिम्मेदारी बखूबी निभा रही थी, लेकिन अंदर से बिल्कुल अकेली थी। भावनात्मक रूप से उसे कोई सहारा देने वाला नहीं था लेकिन किस्मत ने तो उसके लिए कुछ और ही सोचा था। एक लड़का जिसका नाम रवि था उसके रेस्टोरेंट पर अक्सर आया करता था। रवि रेस्टोरेंट के पास ही एक कम्पनी में काम करता था। इसलिए खाना खाने के लिए वह रेस्टोरेंट पर आ जाता। काम्या के हाथ का बना लज़ीज खाना उसे बहुत पसंद था। काम्या भी हर रोज़ रवि के आने का इंतज़ार करती और जिस दिन वो नहीं आता वह उदास हो जाती। उसका रोज़ आना और मस्तीभरी बातें करना उसको खूब भाता था। यही कारण था कि उसके दिल की डोर रवि की तरफ खिंची चली जा रही थी। बातों-बात में रवि भी काम्या के अतीत को जान चुका था। धीरे-धीरे रवि काम्या की मधुर आवाज़ और हसीन चेहरे का दीवाना होने लगा, फिर क्या...वो रोज़ उसे देखने रेस्टोरेंट आता, खा-पीकर कुछ देर बात करता और चला जाता। उसे काम्या की आंखों में अपने लिए प्यार नज़र आने लगा था लेकिन दोनों में से कोई भी अपने मन की बात कहने की पहल ना कर पाता था।
कुछ समय बाद दोनों एक दिन रेस्टोरेंट में थे। रवि कॉफी पी रहा था और काम्या ग्राहकों से ऑर्डर ले रही थी। एकाएक रवि ने एक कागज़ पर कुछ लिखा और वेटर को बुलाकर वो कागज़ काम्या को देने के लिए कहा। काम्या ने जैसे ही कागज़ खोलकर देखा उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। रवि ने काम्या को शादी के लिए प्रपोज किया था। काम्या खुश तो थी लेकिन उसे समाज का डर सता रहा था। यही नहीं जब उसके बच्चों को इस बारे में पता चला तो उन्होंने रवि को खूब खरी-खोटी सुनाई और दोबारा वहां कभी ना आने की सलाह दी। इस घटना के बाद काम्या का दिल टूट गया और उसने रवि को शहर से चले जाने के लिए कह दिया। काम्या एक बार फिर अकेली हो गई। कोई उसकी भावनाओं को समझने वाला नहीं था। उसके चेहरे की चमक और होंठों की मुस्कान धूमिल पड़ चुकी थी। लेकिन कहते हैं न कि अगर प्यार सच्चा हो तो दूरियां भी नज़दीकियों में बदल जाती हैं। उनके साथ भी यही हुआ। हालांकि काम्या को लगता था कि बच्चों के हाथों मिली बेइज्जती के बाद वो फिर कभी नहीं लौटेगा। लेकिन एक दिन रवि काम्या के पास वापस आया और उसे फिर से शादी के लिए प्रपोज किया। इस बार काम्या ने अपने दिल की सुनी और रवि का प्रपोजल स्वीकार कर लिया। दोनों ने मन्दिर में खुशी से ब्याह रचाया और हमेशा साथ रहने का वादा किया। उनके रिश्ते में प्यार और विश्वास का अटूट बंधन था। दोनों साथ में बहुत खुश रहते थे और हंसी-खुशी अपना रेस्टोरेंट चलाते थे। अब काम्या को इस बात की ज़रा भी परवाह नहीं थी कि समाज उसके बारे में क्या बातें करता है। लोग काम्या पर हंसते थे और उसके बारे में बुरी-बुरी बातें करते थे लेकिन काम्या को फ़र्क नहीं पड़ता था। वह लोगों से बिना कुछ कहे होंठों पर मुस्कान लिए ईश्वर का धन्यवाद करती कि उसके पास दुनिया की सबसे अनमोल चीज हमसफ़र का साथ और प्यार जिसकी उसे तलाश थी आज वह तलाश पूरी हो गई है जिसे पाकर वह बहुत खुश थी।