महिलाओं का सशक्तिकरण
महिलाओं का सशक्तिकरण
जिस देश में स्त्री को देवी समान पूजा जाता था आज उसी देश में स्त्री को हवस के भूखे दरिंदे अपना शिकार बनाकर बर्बरता से उसका यौन शोषण कर रहे हैं। हर दिन देश में नाबालिग बच्ची से लेकर प्रौढ़ महिला तक हर रोज़ एक नई निर्भया जन्म लेती है। उसका जीवन, उसकी गरिमा, उसका अस्तित्व, उसका स्वाभिमान सब कुछ क्षण भर में दरिंदों की भेंट चढ़ जाता है और समाज के लोग अन्याय होते देख तमाशबीन बने बैठे रहते हैं। क्या इसलिए कि जब बात अपने घर तक आएगी तब जाकर कोई प्रतिक्रिया करेंगे या फिर इस वजह से कि प्राचीन काल से ही हाशिए पर रखे जाने वाले समूह (स्त्री,दलित,अल्पसंख्यक आदि) को पुरुष-प्रधान समाज अपने पांव की जूती समझता आया है और आज भी उसी का अनुसरण करता है। आखिर क्यों?? ऐसी घटनाओं को इतिहास दोहरा रहा है; जबकि आज का समाज शिक्षित, सभ्य और आधुनिक सोच से युक्त बुद्धिजीवी समाज का जामा पहने बैठा है। इस जघन्य अपराध के कारण देश में असुरक्षा का माहौल बना हुआ है और साथ ही देश की गरिमा भी विश्वभर में कलंकित होती जा रही है। हमें अपने देश की शान बढ़ाने से पहले उसकी आन को सुरक्षित रखना होगा। उनके अस्तित्व की रक्षा करने का वचन हर भाई, हर पिता, हर दोस्त और देश के हर नागरिक को लेना होगा। प्रत्येक घर में, बेटों को महिलाओं का सम्मान एवं सहयोग करना सिखाएं। उनको व्यावहारिक जीवन में केवल साक्षर नहीं बल्कि शिक्षित भी करना जरूरी है। बेटियों के आत्मविश्वास को कभी कम ना होने दें, उनको मार्शल आर्ट (आत्मरक्षा प्रशिक्षण) की ट्रेनिंग अनिवार्य रूप से दिलवाएं। उनकी पहचान साहसी व्यक्तित्व के रूप में कराएं और हमेशा उनकी आवाज़ को उचित दिशा देने का प्रयास करें। उन्हें कभी भी कमतर ना आंके और यथासंभव उसके हौंसलों में उड़ान भरते रहें। उन्हें भी अपने बीच सम्मानित स्थान दें, जिसकी वो असल में हकदार हैं। जिस दिन समाज का हर सदस्य बेटियों का कद्रदान बन जाएगा, और ये बात समझ जाएगा कि समाज की नींव होती हैं लड़कियां...। उस दिन सम्भवतः #जस्टिस फॉर....... ये टैग लगना बन्द हो जाएगा।