Vimla Jain

Tragedy

4.5  

Vimla Jain

Tragedy

ना घर का ना घाट का

ना घर का ना घाट का

6 mins
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अजी हम तो यह कहेंगेअगर ऑफिस वाली लव स्टोरी घर तक ना पहुंचे तो ही बढ़िया । नहीं तो बहुत सारे शादीशुदा लोगों के घर बर्बाद हो जाते हैं । और जब शादीशुदा बॉस या कोई भी शादीशुदा लोग ऑफिस में किसी दूसरी लड़की से या लड़के से प्यार करने लगते हैं तो प्यार कम आकर्षण ज्यादा होता है और वह फर्क समझ नहीं पाते, और जब उसकी आंच घर तक पहुंचती है तो बसी बसाई वर्षों की जमी गृहस्थी में आग लग जाती है। ऐसे मैंने बहुत सारे किस्से देखें और सुने हैं। पंद्रह, पंद्रह ,सत्रह, सत्रह साल की गृहस्थी एक झटके में बर्बाद होते हुए देखी है. इस ऑफिस वाले प्यार के चलते । इसका एक स्टोरी के रूप में मैं आपको उदाहरण देती हूं। यह स्टोरी काल्पनिक है और आसपास के वातावरण को देखकर बनाई हुई स्वरचित कहानी है।


सुरेश की शादी 2 साल पहले हुई थी।  उसकी पत्नी काफी अच्छी पढ़ी लिखी समझदार कामकाज में होशियार और व्यवहार कुशल थी। उस के पढ़ी-लिखी होने के बावजूद जॉब करने की इच्छा नहीं थी, उसकी यही बात सुरेश को पसंद नहीं आती थी। मगर उसकी पत्नी को घर के काम करने में और घर में ही रह कर कुछ भी आर्ट वर्क वगैरा करने में ज्यादा मजा आता था। अतः उसने अपने मन से जॉब ज्वाइन करने का एकदम मना कर दिया। सुरेश को हमेशा जॉब में जो लड़कियां आती थी बन ठन करके ऊंची एड़ी के सैंडल पहन के वेस्टर्न कपड़े पहन के वह बहुत आकर्षित करती थी । उसको लगता था कि उसकी बीवी तो गंवार है वह उसकी कदर नहीं करता था। ऐसे करते करते 2 साल बीत गए । एक दिन सुरेश के ऑफिस में उसकी सेक्रेटरी के रूप में एक नई लड़की आई । काफी फैशनेबल थी और काफी फॉरवर्ड भी थी। उसका हर एक एक्शन सुरेश को मोहित कर रहा था अपनी और खींच रहा था । आपस में बातचीत हुई । उस लड़की ने सुरेश को अपनी प्रगति का जरिया बनाया। और उस पर डोरे डालने लगी, सुरेश को तो क्या चाहिए था। उसको तो ऐसी लड़कियां वैसे ही बहुत पसंद थी। उससे मिलकर के वह उसके साथ में इतना घुल मिल गया कि, अपनी बीवी को बहुत तंग करने लग गया । उसने सोचा तंग करूंगा तो यह मेरे को छोड़ कर चली जाएगी। डाइवोर्स करके इस लड़की से शादी कर लूंगा। उस के रोज-रोज के झगड़ों से तंग आकर उसकी बीवी थोड़े दिन के लिए उसको बिना बताए अपने दोस्त के घर चली गई।

तब तक उसको पता नहीं था कि उसका पति उससे किस कारण झगड़े कर रहाहै। उसको यही लगता था कि उसका पति उसके जॉब नहीं करने से नाखुश है। खैर वह अपने दोस्त के घर गई दो-चार दिन वहीं रहने का प्लान बना करके। अपनी दोस्त को अपनी सारी फोटोस दिखा रही थी। बहुत समय बाद मिली थी । शादी के बाद पहली बार मिली थी। उसने अपने झगड़े के बारे में कुछ नहीं बताया। और अपनी फोटोस वगैरह फोन पर से उसको दिखा रही थी । फोटो देख कर के उसकी दोस्त ने उसको बोला इस आदमी को मैंने एक लड़की के साथ बाजू वाली बिल्डिंग के एक फ्लैट में आते देखा है। उसकी पत्नी को विश्वास नहीं हुआ।

उसने कहा कि तेरे को कोई गलतफहमी हुई है। मेरा पति तो बहुत अच्छा है। मुझे बहुत प्यार करता है ।ऐसा हो ही नहीं सकता । मुझे उस पर पूरा विश्वास है । उसकी दोस्त ने बोला ठीक है। तू यही है मैं तेरे को बताती हूं की कार में यह हर दूसरे दिन यहां आता है । उसकी पत्नी के पांव के नीचे से जमीन खिसक गई। उसने कहा ठीक है ,देखते हैं । इधर जब उसका पति घर गया तो उसको अपनी उसकी पत्नी नहीं मिली। ना कोई समाचार कि कहां गई है । उसने उसके मायके फोन करा वहां से पता लगा कि वह वहां नहीं गई । अब तो पहले तो उसको चिंता होने लगी। फिर उसने सोचा बला टली।

मेरे को कुछ करना ही नहीं पड़ा। चलो मैं अपनी ऑफिस वाली दोस्त के घर चला जाता हूं। और उसको सर प्राइस देता हूं। भूख भी लगी थी उसने सोचा खाना भी उसके हाथ का स्वादिष्ट खाना खा लूंगा । अपने बैग में दो तीन जोड़ी कपड़े डालें और उसकी ऑफिस वाली दोस्त के घर में चला गया। जाकर दरवाजा खटखटाया।

उस लड़की ने दरवाजा खोला और उसको देख कर के एक बार तो खुश हुई । मगर फिर शॉक हो गई किकपड़ों के साथ में कैसे आया है। सुरेश हंसकर बोला अरे अंदर आने को नहीं कहोगी ।आज तो खुला मैदान है । अभी मैं दो-तीन दिन यहीं रहूंगा। जैसे ही वह अंदर गया उसने देखा सब तरफ मैले कपड़ों का ढेर पड़ा था। गंदगी ही गंदगी थी। उसने उसकी दोस्त से बोला "मेरे को पानी पिला दो ।फिर चाय बनाओ मेरे लिए। मेरे को भूख लगी है, खाना भी खिला दो ।"

वह बोलती है "तुम ही जाकर रसोई में से पानी ले लो , और अपने लिए चाय बनाओ तो मेरे लिए भी बना देना।" और फिर खाना ऑर्डर कर दो मैं तो खाना नहीं बनाती हूं। यह सब बाई वाले काम मुझे पसंद नहीं है । वह जैसे ही किचन में गया गंदे जूठे बर्तनों की बदबु से उसका जी घबराने लग गया । यह सब गंदगी उसको देखने की आदत नहीं थी। फिर उसने अपने दोस्त की कपड़ों की तरफ भी ध्यान दिया उसने देखा उसने एक मेला कुचला सा गाउन पहन रखा था । अब उसका मन दोनों का कंपैरिजन करने का हो गया । उसको अपनी पत्नी के व्यवहार और रहने के ढंग से । और घर को व्यवस्थित रखने के ढंग से और खाना बनाना उसको प्यार से खिलाना उस सब को याद करने लगा । सबसे बहुत अच्छा व्यवहार रखना । उसको लगा मैं बहुत गलत कर रहा हूं । आज मैं जाकर उससे माफी मांग लूंगा। और यह सब सोचते हुए घर से निकलने लगता है । मगर उसी समय उसकी पत्नी और पत्नी की दोस्त दोनों वहां आ जाते हैं। वहां उसको पकड़ लेते हैं। और उसको बहुत खरी-खोटी सुनाते हैं । और उसको डाइवोर्स देने की धमकी देते हैं। अब तुम पड़े रहो यहां पर इसी के साथ में मेरे को तुम्हारे साथ नहीं रहना है कह कर उसकी पत्नी वहां से निकल जाती है।

इधर जिसके घर में गया होता है वह लड़की देखती है यह तो माथे ही पड़ गया । उसको बोलती है "तुम मेरे घर क्यों आए हो। मैंने तुमको बुलाया है क्या। ऑफिस की बात और है। ऑफिस में मुझे तुम्हारे साथ प्यार का नाटक करना पड़ता है ।क्योंकि तुम मेरे लिए प्रगति की सीढ़ी हो ।

भला में तुम्हारे साथ में क्यों शादी करने लगी। तुमने मेरे को यह महंगे गिफ्ट देकर मेरे को अपनी तरफ से लुभाया। और मैंने तुमको मेरे प्रगति की सीढ़ी समझा हिसाब बराबर। अब यहां से निकलो नहीं तो पुलिस को बुलाती हूं ।"

सुरेश एकदम डर जाता है कि यह पुलिस को बुला लेगी। वहां से निकलता है । वहां से वह घर जाता है तो घर पर उसकी स्थिति और भी खराब हो जाती है । उसकी पत्नी डाइवोर्स पेपर लेकर उसके सामने रखती है कि इसके ऊपर सिग्नेचर कर दो। और दफा हो जाओ।  एलुमनी के तौर पर यह घर मैं लूंगी । और मुझे तुमसे कोई पैसा नहीं चाहिए। मगर घर में तुम्हारा कोई हक नहीं रहेगा। इस तरह से ऑफिस वाले प्यार के कारण सुरेश ना तो घर का रहा ना घाट का। इसका बहुत बुरा अंजाम हुआ।



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