मुस्कान
मुस्कान
डिंपल ने आज खुद ये शादी तोड़ दी। उसका ऐसा करना सबको अजीब लगा ताकि जिस लड़के साथ वह बचपन से प्यार करती थी उसे उसका विवाह हो रहा था। शादी के मंडप से उसका यूँ अचानक से उठ खड़ा होना किसी के समझ से बाहर था।
डिंपल से जब पूछा गया कि तुम ऐसा क्यों कर रही हो तो उसने आसानी से कह दिया कि मुझे दूसरे लड़के से प्यार करना है, जो कि मुझे बहुत प्यार करता है और मुझे हर चीज की खुशी देने का वादा भी उसने किया है।
ये सब क्या है डिंपल? .. नारायण दत्त जी ने अपनी बेटी से सवाल पूछा।
यह सच है पिताजी, मैं किसी और लड़के से प्यार करती हूँ.. इतना कहते ही उसकी माँ चिल्लाते हुए कहने लगी, " बस, बहुत हो गया हास - परिहास और चलो आगे की रस्म की तैयारी करो।
माँ, आप यह कैसी बातें करती हो इस मौके पर कोई हास - परिहास की बातें थोड़े ही करता है .. डिंपल अपनी बात स्पष्टता से कहने लगी।
उसकी यह बातें सुन डिंपल के माता- पिता वही बैठ गए, आज उनकी नाक सारे बिरादरी के सामने कट गई। उनकी बेटी ने नारायण दत्त और उनकी पत्नी का हृदय तोड़ दिया और वह शर्मसार हो गए थे।
उस समय यह कोई सोच भी नहीं सकता था कि जो लड़की राजीव से विवाह करने के लिए अपने माता- पिता के साथ महीनों से झगड़ा कर रही थी, उसी ने आज उसके साथ विवाह ना करने का निर्णय लिया। एक रात पहले तो उसका आनंद आसमान की ऊँचाई छू रहा था, उल्लास का माहौल था उसके चारों ओर, पहली मोहब्बत पा लेने की मुस्कान थी उसके ओठों पर। आज उसके द्वारा लिया गया यह निर्णय सबके समझ के परे था।
नहीं करनी थी ये शादी तो फिर माता- पिता को इतना कष्ट क्यों दिया तुमने। उन्होंने ने तो पहले ही बहुत से रिश्ते दिखाये थे पर तुझे तब राजीव ही पसंद आ रहा था। क्यों? आखिर क्यों किया तुमने ऐसा? ऐन वक्त इस रिश्ते को तोड़ देने का आखिर क्या है राज? कहीं राजीव ने तो कुछ.. इतना कहते ही डिंपल ने अपनी बहन के मुंह पर हाथ रख दिया, क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि राजीव के खिलाफ कोई अपशब्द कहे।
राजीव तो हिरा है उसकी नजरों में, उसका दोष ही क्या ? उसका व्यक्तित्व ही उसे खास बनाता है, उसकी सादगी ही उसकी पहचान है । उसकी कोई गलती नहीं कि उससे कोई प्रेम करें, वह है ही ऐसा कि उससे हर कोई इश्क़ कर बैठता है। मैं भी तो पागल हो गई थी, लेकिन समझ नहीं पायी कि वह मुझे भी चाहता है या नहीं । वह हमेशा औरों की खुशियों के लिए स्वयं दुःख झेलता रहा है और अभी भी मेरी इच्छा जानकर उसे पूरा करने हेतु वह स्वयं तैयार हो गया .. कहते- कहते डिंपल की ऑंखें भर आयी।
डिंपल की बहन ने उसकी नम ऑंखों को पढ़ लिया था शायद । डिंपल के पीछे- पीछे वह भी उसके कमरे में आ गई।
क्या हुआ? मुझे कुछ तो बतायेगी भी या नहीं, तेरी ये भीगी पलकें ही बता रही है कि बात कोई और है।
डिंपल उसके कंधों पर अपना सिर टेककर जोर - जोर से रोने लगी तो बहन ने उसके सिर को प्यार से सिरहाते हुए कहने लगी, शांति से कहो बात क्या है?
कल जब सब लोग मस्ती में झूम रहे थे तभी मैं खुशी- खुशी अपने कमरे में गयी तो मुझे मेरी दोस्त नमिता का मैसेज आया कि "तुम राजीव को छोड़ दो। हर कोई उससे प्यार करता है लेकिन तुमने कभी जानने की कोशिश की है कि वह किससे प्यार करता है? नहीं, उसका पहला और आखिरी प्यार मैं हूँ बस वह कभी बोल न पाया, चाहे तो उससे पूछ लेना। "
इतना पढ़कर मैं राजीव से मिली तो उसने मेरे द्वारा नमिता का नाम लेते ही अपनी नजरें नीची कर ली।
हाँ, मैं नमिता से ही प्यार करता हूँ तुमसे नहीं.. राजीव एक साॅंस में बोल गया।
उसकी यह बातें सुन मैं धड़ाम से गिर पड़ी। चाहे उससे शादी कर मैं खुश हो जाऊँ लेकिन क्या वह कभी खुश रह पायेगा। मैं अपना साथ पाने के लिए किसी का स्मित तो नहीं छिन सकती ना और राजीव की असली खुशी नमिता से मिलकर ही पूर्ण होगी।
डिंपल को समझाना व्यर्थ था। उसकी बहन ने जब यह फैसला सबको सुनाया तो बच्चों की खुशी के लिए सब राजी हो गए और दोनों अपनी राह पर निकल पड़े।
