मुसीबत को न्योता
मुसीबत को न्योता
सुबह का समय सभी को हर काम की हड़बड़ी का होना लाजमी है।
अरे राधा मेरे स्नान के लिये गर्म पानी रख दे कमरे में से ही आवाज लगाई। हाँ दादी रख दिया है तभी किसी ने जोरो से कहा साढे़ छह बज रहें है निर्मला!! ये बहु क्या कर रही है, अभी तक चाय नहीं बनाई तभी यार राधा टिंकू को स्कूल बस पर आज तुम छोड आओगी ना !!फिर मेरे लिये चाय बना देना!! रात से सिर भारी है। तभी भाभी आपने रात को ही कहा था कि आप सुबह होते ही मेरे बालों में मेंहदी लगा दोगीबगल घर से आ रही इन बुलंद आवाजों के बीच बीच एक हल्की आवाज भी आ रही जी हाँ, आई, बस ला रहीं हूँ।
मेरा कोतूहल और संवेदना सीमा पार कर गई और मैंने बगल के फ्लेट की बेल बजा दी सामने खडी दबंग महीला ने पूछा कौन हो मैने कहा जी पड़ोसी अच्छा! आओ कहाँ से हो, शादीशुदा हो या कँवारी, जाती क्या है तुम्हारी ?
आजकल बड़े शहरों में इसी तरह लोग कुछ दिन रहतें है ! मीठी मीठी बातें बना नजदीकियाँ बढ़ाते हैं और फिर कुछ कांड कर भाग जातें है।अच्छा कितना पढ़ी लिखी हो ब्वाय फ्रेंड तो जरूर होगा आजकल की लडकीयाँ तो बेशर्मी में लड़कों से भी आगे निकल गई है।नौकरी, पढाई के नाम पर मनमानी ढ़ग से जिंदगी बिताने का सपना लिये रहती है ना बड़ो का सम्मान ना आँखों में लिहाज वगैरह वगैरह मैंने उनसे कहा जी आपलोगों की फरमाईश की आवाजें सुन कर उत्सुक हो उठी और दर्शन को चली आई। आपके घर में सब काम आपकी बहु शायद जिसका नाम राधा है वही करती है ना ! और आपकी आदर्श आजकल की लड़की क्या करती है अब तो मानो मैने सुबह सबह बम पटक दिया हो वह तमतमाती हुई कहती है मै सोसायटी की हेड हुँ ऐ लड़की देख तुझसे कैसे फ्लेट खाली करवाती हूँ।अब मेरे क्रांतिकारी विचार पछता रहे थे, यह मैंने बैठे बैठे मुसीबत को क्यों न्योत लिया।
