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Surendra kumar singh

Drama

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Surendra kumar singh

Drama

मुश्किल तो है

मुश्किल तो है

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यह भी कोई बात हुयी, मैं आप की नाव में सवार हूँ, और आप मुझसे कह रहे हैं कि मैं तुम्हे उस पार तभी ले चलूँगा जब तुम मुझे इस बात का प्रमाण दोगे कि मैं आप की नाव में बैठा हुआ हूँ।

वास्तव में मेरे पास इस बात का कोई प्रमाण नही है कि मैं आप की नाव में बैठा हुआ हूँ। मैं आप के पास हूँ, आप की नाव में हूँ, नाव मझधार में फंसी हुई है और आप मुझसे इस बात का प्रमाण मांग रहे हैं कि मैं आप की नाव में बैठा हुआ हूँ। आप के इस प्रश्न से तो मैं मुश्किल में पड़ गया हूँ।

अगर मैं अपनी मुश्किलों का स्पष्टीकरण दूं तो लगता है मेरी मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। जब कि अब तक मैं आप की नाव में सवार आप के प्रश्नों को झेल रहा हूँ। मुझे नहीं मालूम ये प्रश्न आप के पास कहाँ से आ रहे हैं। अरे भाई मैं आप के पास हूँ और आप से बात कर रहा हूँ।

यह नाव आप की है ऐसा मेरा विश्वास है। इस नाव की पतवार आप के हाथ है ऐसा मेरा विश्वास है। यह नाव इस मझधार से निकलकर उस पार तक जा सकती है ऐसा मेरा विश्वास है।

आप के प्रश्न से तो मेरा विश्वास ही डगमगाने लगा है पर मुझे नहीं लगता कि मेरी ये डगमगाहट आप की नाव की डगमगाहट की तरह है। । अरे भाई इस बात की जानकारी तो आप को होनी ही चाहिये कि इस नाव में कौन कौन बैठा हुआ है, क्या क्या सामान लदा हुआ है,इसमें कहीं कोई छेद तो नही है।

मुश्किल तो है मेरे सामने। मुझे नहीं मालूम कि अगर मैं आप को इस बात का प्रमाण नहीं दे सका कि मैं आप की नाव में सवार हूँ तो आप क्या करेंगे। आप की बात पर विश्वास करूँ तो आप मुझे उस पार तक नहीं ले जायेंगे । तो क्या आप अपनी नाव के साथ इस मझधार में ही खड़े रहेंगें या अपनी नाव को वापस ले जाएंगे वहां तक जहां से मुझे यहाँ तक लाये हैं।

महाशय मैं थोड़ी मन्दमति का आदमी हूँ, आप को यह बात अच्छी तरह मालूम है। यह बात सच हो न हो पर इस बात पर आप का विश्वास है फिर भी मैं अपनी मन्दमति से आप को यह प्रमाण देने की कोशिश करूंगा कि मैं आप की नाव में सवार हूँ। फिर भी अगर आप को मेरी बात का विश्वास नही हुआ तो मुश्किल तो है। तो क्या मुझे आप की नाव से इस मझधार में कूद जाना चाहिये।

आखिर जब आप को इस बात का विश्वास ही नही है कि मैं आप की नाव में सवार हूँ जब कि मैं आप से बात कर रहा हूँ और आप मुझे सुन रहे हैं। तो मेरे और आप के बीच अविश्वास कहाँ से आ रहा है। कहीं आप मुझे अपनी नाव से उतारने का कोई बहाना तो नहीं ढूंढ रहे हैं। कहीं आप को भी औरों की तरह बहाने बनाने की जरूरत तो नही महसूस होने लगी है।

जरूर हममें से कोई एक आप या मैं, मैं या आप अपने दिमाग से काम ले रहा है। काश आप अपने विश्वास पर कायम रहते कि मैं थोड़ी मन्दमति का आदमी हूँ। मुझे इस मुश्किल में थोड़ा सा चैन मिल सकता है कि चलिये मैं दिमाग से काम नहीं ले रहा हूँ।

लोग सोचते हैं कि उनका दिमाग उन्हें उनकी मुश्किलों से पार लगा देगा लेकिन मेरी मुश्किल ही यही है कि मैं थोड़ा मन्दमति का आदमी हूँ। पर क्या मुझे मुझे भी अपने थोड़े बहुत बचे हुये दिमाग से काम लेना चाहिए।

महाशय क्या समस्या आप के सामने आ जायेगी अगर आप मुझे उस पार लगा देंगें। यह तो आप के लिये एक सुंदर बात होगी। आप को तसल्ली होगी कि चलो एक आदमी तो किनारे लगा।


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