मुझे माफ़ कर दो !!!
मुझे माफ़ कर दो !!!
माई, बच्चा सुबह से भूखा है, कुछ पैसे दे दो तो इसको दूध पिला दूँगी।" एक ग़रीब औरत आरुषी की कार की खिड़की के पास आकर रुक गयी थी और भीख़ माँग रही थी।
आरुषि खिड़की खोलकर उसे पैसे निकालकर देने ही जा रही थी कि दिवाकर ने रोक दिया और कहा ,"ध्यान से देखो, यह बच्चा तुम्हें इस औरत का लगता है क्या ? ये पूरा एक गैंग होता है और बच्चों को जानबूझकर भूखा रखते हैं। हमें इन लोगों को भीख देकर प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए। "
"तुम भी कुछ भी सोचते हो।"आरुषी ने कहा।
"अरे हाँ, तुम्हारी मैटरनिटी लीव्ज भी अगले महीने ही समाप्त हो रही हैं न। अब कैसे मैनेज करना है ?" दिवाकर ने पूछा।
"मिराया के लिए के नैनी रख लेंगे। अभी मैं अपने सामने ही रख लूँगी, जिससे मिराया उसके साथ कम्फर्टेबल भी हो जायेगी।" आरुषी ने कहा।
"हाँ , यह सही भी रहेगा।" दिवाकर ने कहा।
आरुषी ने रानो को मिराया की देखभाल के लिए रख लिया था। मिराया रानो को जानने लग गयी थी। रानो के आने के एक महीने बाद ही आरुषी ने दोबारा ऑफिस जाना शुरू कर दिया था। कुछ दिनों बाद आरुषी ने देखा कि मिराया पहले जितनी सक्रिय नहीं दिखती थी। जब भी आरुषि ऑफिस से लौटती, वह देखती कि मिराया सो रही है। मिराया थोड़ी चिड़चिड़ी भी हो गयी थी। आरुषी ने दिवाकर से भी चर्चा की।
दिवाकर ने कहा ,"चिंता मत करो, मिराया के लिए चीज़ें बदली हैं। शायद , उसे अभी एडजस्ट करने में समय लगेगा। "
"हाँ , तुम शायद सही कह रहे हो। " दिवाकर ने कहा।
लेकिन मिराया दिन बा दिन चिड़चिड़ी होती जा रही थी। आरुषी का मन किसी काम में नहीं लग रहा था। एक रात मिराया के बारे में सोचते हुए आरुषी सो गयी थी। अगले दिन वह सुबह उठी तो उसने पाया कि वह दिवाकर के पास ही बैठी हुई थी, उसके बावजूद भी दिवाकर उसे आवाज़ लगा रहा था। आरुषी ने उसे कहा भी कि ,"तुम्हारे पास ही तो बैठी हुई हूँ, फिर क्यों चिल्ला रहे हो ?"
तब ही दिवाकर ने कहा ,"लगता है आज आरुषि सुबह 7 बजे ही तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गयी है। मुझे और मिराया को सोता हुआ जानकर उसने जगाया नहीं। "
दिवाकर ने आरुषी को फ़ोन करने की कोशिश की। फ़ोन की घंटी बजी ट्रिंग............ ट्रिंग......... ट्रिंग।
"यह तो फ़ोन भी नहीं उठा रही।"दिवाकर बुदबुदाया।
तब ही उसकी नज़र वहाँ पड़े हुए फ़ोन पर पड़ी ,"अरे ,आरुषी तो अपना फ़ोन यहीं पर भूल गयी।"दिवाकर ने अपने आप से कहा और फ्रेश होने के लिए चला गया। जब तक वह वाशरूम से बहार आया ,तब तक मिराया जाग गयी थी और रोने लगी थी। आरुषी ने मिराया को उठाने की कोशिश भी की ,लेकिन वह उसे गोद में नहीं ले पा रही थी।
"ये क्या हो गया ? मैं मिस्टर इंडिया तो नहीं बन गयी।" आरुषी ने अपने आप से कहा।
"हट पगली ,तू मिस्टर इण्डिया कैसे हो सकती है ? तू तो मिसेज इंडिया बन गयी है।" आरुषी ने अपना सिर झटकते हुए कहा।
"उई माँ, मैं तो कल ऐसे ही सोच रही थी कि काश मैं एक दिन अदृश्य होकर देख पाती कि रानो मिराया को कैसे रखती है ? मैं तो सी सी टी वी लगवाने की योजना बना रही थी ताकि मैं रानो पर नज़र रख सकूँ। भगवान ने तो मेरी इतनी जल्दी सुन ली। काश कुछ और ही मांग लेती तो वह भी मिल जाता।" आरुषी अपने आप से बात कर रही थी।
लेकिन भगवान केवल एक दिन के लिए ही मुझे अदृश्य करना। मैं अपने परिवार के बिना नहीं रह सकती। आरुषी अभी बुदबुदा ही रही थी कि दरवाज़े की घंटी बजी।
दिवाकर मिराया को गोदी में लिए हुए दरवाज़ा खोलने गया। दिवाकर की गोद से मिराया को लेते हुए रानो ने कहा कि, "आज मैडम दिखाई नहीं दे रही। "
"आज ऑफिस के लिए जल्दी ही निकल गयी है। तुम मिराया को दूध पीला दो और उसको सम्हालो ताकि मैं ऑफिस के लिए तैयार हो सकूँ।" दिवाकर ने कहा।
"आज आयी न ऊँटनी पहाड़ के नीचे। अब पता लगेगा मुझे कि मेरी मिराया को कैसे रखती है, चुड़ैल मेरे पीछे से।"रानो को देखते हुए आरुषी बड़बड़ा रही थी।
दिवाकर तैयार होकर टोस्ट और कॉफ़ी पीकर ऑफिस के लिए निकल गया था।
दिवाकर के जाते ही, रानो ने अपने एक दोस्त को कॉल किया कर आने के लिए बोल दिया। रानो बिस्तर पर पैर फैलाकर लेट गयी और कानों पर हेड फोन लगा लिए थे। मिराया अपने आप खेल रही थी। कुछ ही देर में मिराया ने पॉटी कर दी और रोना शुरू कर दिया। लेकिन रानो मैडम को कुछ असर नहीं पड़ रहा था।
"तुझे हेड फ़ोन लगाकर सोने के लिए नहीं रखा था। मिराया को सम्हाल, बेचारी ने पॉटी कर दी है।" आरुषी ने चिल्लाकर कहा ,लेकिन रानो कहाँ उसे सुन पा रही थी।
तब ही रानो को शायद पॉटी की बदबू आयी और उसने मिराया की तरफ देखा। मिराया को देखकर उसने मुँह बनाया और कहा ,"ओफ्फो , इसे भी अभी पॉटी करनी थी। "
रानो ने मिराया को क्लीन किया , तब ही दरवाज़े की घंटी बजी। दरवाज़े पर चौराहे पर रोज़ दिखाई देने वाली भिखारन थी। आरुषी को उसकी गोद में रोज़ एक बच्चा दिखाई देता था, लेकिन आज वह बच्चा नदारद था।
उसने रानो को देखते ही कहा कि ,"आज छोरी को २ घंटे ज्यादा लेकर जाऊँगी। पैसे भी दुगुने दूँगी। "
"नहीं , इसकी मम्मी कभी भी आ सकती है। हमारी चोरी पकड़ी जायेगी। वैसे भी तेरी किस्मत से इसकी बेवकूफ माँ ने अपने घर में सी सी टी वी नहीं लगा रखा है।" रानो ने ऐसा कहते हुए मिराया को उस भिखारन की गोद में दे दिया।
"अरे ,बेबी की दूध की बोतल तो ले ले।" रानो ने कहा।
"दूध -वूध नहीं मिलेगा तेरी बेबी को। पेट भरा रहेगा तो बच्ची खेलेगी और खुश दिखेगी। फिर कौन भीख देगा ?",भिखारन ऐसा कहकर चली गयी थी।
सारी बात समझकर आरुषी के आँसू बहने लगे थे। दिवाकर सही कहते हैं कि बच्चों का इस्तेमाल किया जाता है। अभी आरुषी सोच ही रही थी कि दोबारा घंटी बजी।
दरवाज़ा खुलते ही एक लड़के ने प्रवेश किया और रानो को गले लगाकर बेतहाशा चूमने लगा।
"चुड़ैल , अब मेरे घर में रंगरेलियाँ करेंगी।" आरुषी ने कहा।
"इसे तो यहीं मरने दो। जाकर मिराया को देखूं।" आरुषी ऐसा बुदबुदाते हुए चौराहे की तरफ चल दी।
वहाँ मिराया को देखते ही उसका दिल रो उठा। मिराया ज़ोर -ज़ोर से रो रही थी। भिखारन ने उसके चेहरे पर कालिख सी लगा दी थी। वह उसे पकड़े हुए इधर --उधर दौड़ लगा रही थी। रोते -रोते मिराया सो गयी थी। आरुषी पूरा दिन वहां खड़ी रही, उस भिखारन ने दिन भर में नन्हीं मिराया को केवल दो बिस्किट खिलाये। आरुषी का हृदय हाहाकार कर उठा। भगवान ऐसे दुष्ट लोग भी होते हैं इस दुनिया में।
भिखारन मिराया को लेकर घर पहुंची और आरुषी भी उसके पीछे। रानो ने जैसे ही दरवाज़ा खोला, वह थर थर काँपने लगी। ,"मैडम आप, वह म म मिराया बेबी " रानो हकलाने लगी थी।
आरुषी समझ गयी थी कि वह अब दृश्यमान है।
"चुप कर बदजात। अभी निकल जा यहाँ से।" आरुषी ने उसे अपने घर से निकालते हुए कहा।
"मुझे माफ़ कर दे बेटी। अब तेरी माँ तीसरी आँख रखेगी।" आरुषी मिराया को गोद में लेते हुए कहा।
आरुषी ने कुछ दिनों की छुट्टी ले ली। उसने एक नयी नैनी रखी। घर पर सी सी टी वी कैमरा लगवाए। उसके साथ ही वह या दिवाकर दोनों ऑफिस से बीच में घर आकर मिराया की देखभाल करने लगे ताकि रानो का एपिसोड दोबारा न हो।
