Sheikh Shahzad Usmani शेख़ शहज़ाद उस्मानी

Tragedy

4  

Sheikh Shahzad Usmani शेख़ शहज़ाद उस्मानी

Tragedy

मर्द का दर्द (लघुकथा)

मर्द का दर्द (लघुकथा)

3 mins
254


उनके बंगले के बाहर आज फिर उनके दीवानों, प्रशंसकों और पत्रकारों की ग़ज़ब की भीड़ लगी हुई थी। एक वरिष्ठ पत्रकार को उनसे रूबरू होने का मौक़ा मिला। बातचीत शुरू हुई :


"बहुत-बहुत मुबारक हो आपकी एक और जीत !" पत्रकार ने अभिवादन करते हुए कहा - "अस्पताल से लौट कर अब कैसा महसूस कर रहे हैं?"


"चिकित्सकों की कर्मभूमि से अपनी कर्मभूमि पर जाने के लिए फिर से तैयार हूं!" उन्होंने अपनी चिर-परिचित जोशीली आवाज़ में पत्रकार को जवाब देते हुए कहा - "बचपन से ही सिर पर है अल्लाह का हाथ इस अल्लारक्खा पर और ख़ुदा गवाह है कि आप सब की दुआओं का रहा है हमेशा साथ!"


"सुना है कि आप बहुत तक़लीफें उठाते हुए इस उम्र में भी कमज़ोर लीवर और बीमारी को कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने देते!"


"ज़िन्दगी एक इम्तिहान है! हौसला चाहिए, हौसला! फिर जीत अपनी और हार बीमारी की! हिम्मत का फ़ौलाद है मेरे पास!" उन्होंने फिर अपनी चिर-परिचित संवाद अदायगी के साथ कहा - "मेरे साथ लोगों की दुआयें हैं, तो काम करने का जुनून भी है! ज़िन्दगी के कर्मपथ पर मैं कभी हार नहीं मानता!"


"कुछ सालों से तो यही हो रहा है कि आपका एक पैर अस्पताल में होता है, तो दूसरा आपकी कर्मभूमि पर!" पत्रकार ने उनके अद्भुत बेमिसाल आत्मविश्वास को देखते हुए कहा।


"अस्पताल में जन्म के समय भी चीखें, चीत्कार सुना था; संघर्ष किया था इस दुनिया की कर्मभूमि में आने के लिए। तो जाते समय भी वही सुनना और देखना है! मैं जिंदगी के अग्निपथ पर हार नहीं मानता!"


"आपका यही जज़्बा हमें प्रेरणा देता है एक लोकप्रिय फ़िल्मी गाने की तरह ; 'मंज़िलें अपनी जगह हैं, रास्ते अपनी जगह! अगर क़दम साथ न दें, तो मुसाफ़िर क्या करें'?" पत्रकार ने उनके ही विशेष अंदाज़ में कहा और फिर बोला- "अच्छा, अंत में यह बताइए कि आज देश के जो हालात हैं, ऐसे में युवाओं में किस‌ तरह की देशभक्ति होनी चाहिए?"


"लो कर लो बात! भाईसाहब! हमारे युवाओं में तो ऐसी देशभक्ति है कि दे केन लीव ऐनी समस्या बिहाइंड!" एक फ़िल्म के संवाद की तर्ज़ पर, उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा और ज़ोर से हंस पड़े।


" युवाओं के लिए, आपके फैन्स के लिए कोई संदेश देना चाहेंगे?" पत्रकार ने उनसे पूछा, तो उन्होंने कहा :


"ग़रीबी हो या बेरोज़गारी ; दिव्यांगता हो या बीमारी और मुसीबतें ! ये आपको उतना नहीं ठगतीं, जितना कि इस मुल्क के ही नहीं, पूरी दुनिया के ठग भी आपको ठगते रहते हैं!"


एक मर्द का यह दर्द सुनकर पत्रकार नि:शब्द रह गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy