मोनालिसा
मोनालिसा
"कभी औरतों को गौर से देखा है आपने?" एक महिला ने पुरुषों के उस ग्रुप में बातों ही बातों में
casual सा सवाल किया।
उन्होंने छूटते ही कहा,"ये कैसा सवाल है? औरतें तो होती है सुंदर।और आप को पता तो है ही कि सुंदर औरतों को लोग देखा करते है,चाहे तिरछी नजरों से या झरोखों से छुपकर या घूरते हुए।"
"आप मेरा सवाल नहीं समझे।मैं कुछ और बात कह रही हूँ।औरतों के दिल की गहराई में झांकने की बात कर रही हूँ मैं।"
"तुम्हारी ये सारी बातें हमे समझ नही आ रही है।और ये दिल विल या गहराई वगैरह कुछ नही होती है।औरत की बस सुंदरता ही देखी जाती है सदियों से,जैसे सामने वाली वो मोनालिसा की पेंटिंग!"
महिला ने मजबूती से फिर आगे कहा,"आप की ही बात को कह रही हूँ।आप लोगों की प्रॉब्लम भी यही है।औरत की सुंदरता में गुम हो जाते है आप लोग। क्या आज तक मोनालिसा की मुस्कराहट को कोई जान पाया है?"
थोड़ा और रुक कर वह फिर कहने लगी,"हर औरत मोनालिसा जैसी ही होती है।वह हमेशा मुस्कुराती ही दिखती है,अपने अरमानों और सपनों को दिल में किसी कोने में छुपाकर। कभी समाज की परवाह करते हुए तो कभी अपनों की चंद ख्वाहिशों के लिए..."
