शायद कजरौटे को भी किसी बुरी नज़र से बचाना था। शायद कजरौटे को भी किसी बुरी नज़र से बचाना था।
कभी समाज की परवाह करते हुए तो कभी अपनों की ख्वाहिशों के लिए..." कभी समाज की परवाह करते हुए तो कभी अपनों की ख्वाहिशों के लिए..."
जितना मजबूत होगा हम उतने अधिक स्वस्थ रहेंगे जितना मजबूत होगा हम उतने अधिक स्वस्थ रहेंगे
परिवार स्वस्थ रहेगा, समाज और देश स्वस्थ होगा। परिवार स्वस्थ रहेगा, समाज और देश स्वस्थ होगा।
मकई के खेत की तरफ बढ़ी ही थी कि शर्माजी चिल्लाते हुए अपने सर के बाल नोचने लगे। मकई के खेत की तरफ बढ़ी ही थी कि शर्माजी चिल्लाते हुए अपने सर के बाल नोचने लगे।
वे संतुलित और पौष्टिक भोजन का ही सेवन करें, ताकि वे भी कभी बीमार न पड़े। वे संतुलित और पौष्टिक भोजन का ही सेवन करें, ताकि वे भी कभी बीमार न पड़े।