मोबाइल का चक्कर
मोबाइल का चक्कर
"नहीं आया, आज भी जवाब नहीं आया........." डमरू ने चिंता के साथ कहा।
"क्या हुआ.......क्या नहीं आया?" पुस्तक प्रसाद ने पूछा ।
"तुम्हें क्या? तुम्हें मम्मी-पापा ने मेरे गले जबरदस्ती बाँध रखा है........" डमरू चिढ कर बोला।
"बेटे तू हर टाइम मोबाइल फोन में घुसा रहता है कही तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया?
"दिमाग तो तुम्हारा खराब है; आज-कल हर काम मोबाइल पर करना पड़ता है………."
"क्या अपनी पढ़ाई भी मोबाइल पर कर रहे हो?"
"अबे लॉक डाउन की वजह से मुश्किल से तुम किताबों से जान छूटी है, अब ऑनलाइन क्लास करो और छुट्टी........." डमरू बोला।
"मुझे तो लगता है तू ऑनलाइन क्लास भी नहीं करता है।"
"छूट जाती है कभी-कभी......लेकिन तू बकवास न कर, चल फूट यहाँ से.......आज भी जवाब नहीं आया......"
"अबे किसका जवाब नहीं आया?"
"एक बहुत अच्छी लड़की को अपनी दोस्ती के जाल में फँसाया है; लेकिन आजकल मेरे मैसेजस का जवाब ही नहीं देती........" डमरू बोला।
"उसे तेरी असलियत पता लग गई होगी कि तू भेड़ की खाल में भेड़िया है......"
"ये किताबी मुहावरे मेरे सामने न झाड़, क्या खास है उसमें? मेनका और रम्भा तो मेरी हर गुडमॉर्निंग और गुडनाइट का जवाब देती है।" डमरू गुस्से से बोला।
"अबे ढक्कन वो दोनों पता नहीं तेरे जैसे कितने लल्लुओ को गुडमॉर्निंग करके जगाती होंगी और गुडनाइट कर के सुलाती होंगी, अपनी हरकतों से बाज आजा नहीं तो वो अच्छी लड़की किसी दिन तेरा जुलुस निकाल देगी।"
"अबे फटी किताब तेरी इतनी हिम्मत......." कहते हुए डमरू पुस्तक प्रसाद को ठोकर मारने के लिए दौड़ा, लेकिन अगले ही पल छाती पकड़ कर जमीन पर लेट गया।
"क्या हुआ बे ड्रामे बाज?" पुस्तक प्रसाद डमरू के गिरने से थोड़ा चिंतित भी हो गया।
"अबे किताबी ज्ञान बघारने वाले जरा मेरे मोबाइल के मेडिकल ऍप से डॉक्टर की बात करा……" डमरू कराहते हुए बोला।
चिंतित पुस्तक प्रसाद ने डमरू के मोबाइल से मेडिकल ऍप निकालकर दिया, किसी फालतू डॉक्टर ने फटीचर सलाह दी; सलाह से फायदे की जगह नुकसान ही हुआ।
"अबे जरा मेरे ऑनलाइन फ्रेंड डॉक्टर झटका से बात करा......" डमरू तड़पते हुए बोला।
पुस्तक प्रसाद ने बात कराई लेकिन डॉक्टर झटका के बताये इलाज से डमरू को झटके लगने लगे।
इसके बाद १० मिनट तक और भी कई मोबाइल ऍप ट्राई किये गए और रिजल्ट ढाक के तीन पात।
"अब तेरे मोबाइल ऍप का लफड़ा खत्म हो गया हो तो मैं कुछ करूँ.......?" पुस्तक प्रसाद बोला।
"कर मेरे बाप; तू ही कुछ कर......." डमरू तड़फ कर बोला और बेहोश हो गया।
डमरू के कहते ही पुस्तक प्रसाद ने उसकी छाती को दबा कर साँस लेने में मदद की । पाँच मिनट के प्राथमिक उपचार के बाद डमरू होश में आ गया।
"देखा बेटे ये मोबाइल ऍप ही सब कुछ नहीं; कुछ किताबें भी पढ़ा करो, नहीं तो किसी दिन इन ऍप्स के चक्कर में तुम्हारी टे बोल जाएगी......"
"ज्यादा बकवास न कर; चल कल से कुछ अच्छी किताबें भी पढ़ लिया करूँगा, चल अब असली डॉक्टर के पास चलते है सही इलाज लेने।" डमरू उठते हुए बोला।