Dr Jogender Singh(jogi)

Inspirational

3.4  

Dr Jogender Singh(jogi)

Inspirational

मँजरी

मँजरी

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हर जगह तुम आ जाते हो, एक उदासी बिखेरने। सिमटे नहीं सिमटती ऐसी उदासी। मैं हँस देता हूँ हर बात पर कि कुछ बोझ हलका हो जाये मेरे मन का। हर हँसी के बाद मन और भी बोझिल सा हो जाता है, तुम नहीं हो ना। बैठ कर देखता हूँ उस कुर्सी पर हर रोज़, जिस कुर्सी के पार तुम बैठ, सुनती मेरी बे सिर पैर की बातों को बहुत ध्यान से। फिर हँस देती, चमकीली सी हँसी,अपने क़रीने से सजे दाँतों की पंक्ति दिखाती हुई। मैं क्या बोलूँ, किस से बोलूँ ? इसलिये अब ख़ामोश ही रहता हूँ। कुर्सी के पार उम्मीद से ताकता हूँ, शायद तुम आ कर चुपके से बैठ गयी हो। फिर ख़ाली कुर्सी देख, कैसा लगता है ?लगता है दुनिया ही वीरान हो गयी है।

चली गयी तुम, कोई बात नहीं। तुम एक नहीं कई बार बोलती थी, “फ़ुलस्टाप माने फ़ुलस्टाप, ” मैं ही नहीं समझ पाया। तुम इतने पूर्ण विराम लगा कर चली गयी कि मेरा विश्राम, चैन, नींद सब पूर्ण रूप से छिन गये।

अविश्वास से आसमान को ताकता हूँ, अकेले में। तक़दीर के लिये सितारे ज़रूरी होते हैं, तो क्या मेरे आसमान में एक भी तारा नहीं। विश्वास नहीं होता, ऐसी भी क्या दुश्मनी ऊपरवाले की मुझ से। बिना किसी चेतावनी के मंदिरा तुम क्यों चली गयी ? आख़िर क्यों ? मेरा कसूर तो बताया होता। तुम्हारी मुस्कुराहट याद कर मन तड़प जाता है, तुम आज भी मुस्कुराती होगी किसी के साथ ,मेरी तरह एक झूठी मुस्कुराहट।

क्या बड़बड़ कर रहा है बे ? खिसक गया है क्या, विकास चिराग़ को छेड़ते हुये बोल।

” तू रहने दे ! दुश्मन है तू मेरा, कोई हेल्प तो करनी नहीं, ऊपर से डायलॉग मार रहा है। 

इब क्या हुई गवा बिटवा, अनारकली भाग गयी क्या ? क्यों रो रहा है ? विकास ने मस्ती की।

तू थोड़ी देर के लिये बाहर चला जा प्लीज़, रिहर्सल करने दे मेरे बाप। नहीं तो तेल फैल जायेगा। चिराग़ ने विकास से मानो हाथ जोड़ कर विनती की।

ओके, तू तैयारी कर बच्चा, तब तक मैं एक सिगरेट फूँक आता हूँ। जल्दी करना। दरवाज़ा खोल विकास बाहर निकल आया।

चिराग़ फिर से डायलॉग याद करने लगा।

कैसे होगा इतना कठिन नाटक मुझ से ? चिराग़ ख़ुद से बोला।

क्या हुआ भैया, क्यों परेशान हो ? मंजरी ने कमरे में आते हुये पूछा।

देख न ! कल नाटक है , मुझ से नहीं हो पा रहा है , ऊपर से मीनाक्षी के सामने ऐक्टिंग करना, कितना मुश्किल है, क्या करूँ।

भैया स्क्रिप्ट में मीनाक्षी वाला पार्ट मैं करती हूँ, और आप अपने डायलॉग बोलो। अच्छी प्रैक्टिस हो जायेगी। मंजरी मुस्कुराई।

मीनाक्षी की ऐक्टिंग देखी है, तूने ? बड़ी आयी, तुझ से नहीं होगा।

होगा क्यों नहीं, आप लाओ मीनाक्षी की स्क्रिप्ट, मंजरी ने स्क्रिप्ट उस के हाथ से झपट ली। शुरू हो जाओ।

पर...तुमसे प्यार के डायलॉग कैसे बोलूँगा ? चिराग़ ने ग़ुस्से से बोला।

क्यों ? क्या तुम मुझे प्यार नहीं करते भैया, आँखे फाड़ते मंजरी बोली।

बहुत प्यार करता हूँ, अपनी गुड़िया से, पर ऐसे डायलॉग ? 

प्यार क्या अलग /अलग होता है भाई ? प्यार तो प्यार है बस और कुछ नहीं। कम ऑन, चलो प्रैक्टिस करते हैं।

विकास दो घंटे बाद वापिस आया, लगता है प्रैक्टिस छोड़ दी भाई ने। हार मान ली ना, मीनाक्षी के सामने खड़े होने की हिम्मत सब में नहीं है। आकाश को ही करने दे। हार मान लो, कोई बात नहीं।

कल देखना, अभी खाना खाने चल। चिराग़ मुस्कुराते हुये बोला।

चिराग़ और मीनाक्षी ने समाँ बाँध दिया भाई, विकास विनय से बोला। अपना फ़र्स्ट प्राइज़ पक्का है, अब यह देखना है कि बेस्ट ऐक्टर का प्राइज़ किसको मिलता है। 

मीनाक्षी को ही मिलेगा, हर साल की तरह, इसमें क्या सोचना, विनय बोला।

हाँ, लगता तो यही है, विकास पता नहीं क्या सोचते हुये बोला।

हेडमिस्ट्रेस स्टेज पर आयी। थर्ड प्राइज़ गोज़ टू सत्य साई विध्यापीठ, सेकंड प्राइज़ गोज़ टू सनातन धर्म, एंड विनर इज़ गुरुनानक इंटरकॉलेज। बेस्ट ऐक्टर इज़ चिराग़ माथुर फ़्राम गुरुनानक इंटरकालेज।

छा गया भाई, विकास चिल्लाया।

बेस्ट ऐक्टर की ट्रोफ़ी मंजरी को दे, चिराग़ ने उस का माथा चूम लिया, यही है मेरी हीरोईन। लव यू मंजरी।

मंजरी ने प्यार से भैया को देखा। और मिठाई नहीं लाये।

क्यों नहीं, चिराग़ ने मिठाई का डिब्बा निकालते हुये कहा।

अच्छा !! तो इस चुहिया ने तुझे ट्रेनिंग दी थी। विकास ने मंजरी को छेड़ा।

विकास भैया, तुम्हें नहीं छोड़ूँगी आज, मंजरी विकास के पीछे भागी।

पागल ही है दोनों। चिराग़ प्यार से बुदबुदाया। 


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