मन में ही रहने दें
मन में ही रहने दें
रिया ऑटो में बैठी हुई थी। आज मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था। कॉलेज के कुछ दबंग लड़कों ने आज फिर एक लड़की को जबरन सिगरेट पिलाने की कोशिश की और कॉलेज के प्रशासन से लेकर छात्रों तक सभी लोग तमाशा देख रहे थे।थोड़ी देर बाद जब वो घर पहुंची तो उसे दरवाजे पर ही मम्मी पापा के झगड़ने की आवाज सुनाई दी।
“बच्चा हैं अभी, नासमझ है, दोस्तों के बहकावे में आकर कर दिया होगा यह सब। हमारा सिद्धार्थ ऐसा नहीं है।”
“कॉलेज में सबके सामने किसी लड़की का दुप्पटा खींच लेना कोई बच्चा नहीं करता। याद रखो हमारे घर में भी एक बेटी है, कल को उसके साथ भी कुछ ऐसा हुआ तो.....”
तभी रिया का हाथ दरवाजे पर लग गया और दरवाजा खुल गया। उसे देखते ही मम्मी पापा दोनों चुप हो गए। रिया भी चुपचाप अपने कमरे में आ गई।
जिस बात को लेकर उसके मन में गुस्सा भरा हुआ था, आज उसी का भाई भी उन लड़कों में शामिल हो गया था जो लड़कियों की इज्ज़त करना तो दूर उन्हें इंसान तक नही समझते।
इसलिए ना बोल तू दिल का हाल मन मे ही रहने दे
तूफान जो ज़ज़्बातों का है अश्कों मे ही बहने दे.