मन की बात ( day-1 dost)
मन की बात ( day-1 dost)
आज रिया का सिविल सर्विसेज का परिणाम आया था और वह आईपीएस के लिए चुन ली गयी थी।आँखों में आंसू लिए उसने सुहाना को फ़ोन कर रूंधे गले से हेलो बोला।
"तेरे घर ही आ रही थी ; तेरी पसंदीदा मिठाई बीकानेरी रसगुल्ले लेकर ।बाकी बातें पहुंचकर करते हैं।", सुहाना ने फ़ोन उठाते ही कहा।
तलाक के बाद जब सभी अपनों ने रिया से मुँह फेर लिया था,तब सुहाना उसकी बचपन की दोस्त ही उसकी हिम्मत बनी थी।सुहाना के कारण ही तो वह उस नरक से मुक्ति पा सकी थी।सुहाना ने ही उसे समझाया था कि ,"तू दुनिया की पहली लड़की नहीं है ;जो तलाक ले रही है । ज़िन्दगी काटनी नहीं है ;बल्कि तुझे जीनी है । "
सुहाना के प्रोत्साहन से ही वह अपने आपको समेटकर तैयारी कर सकी थी ।जब भी वह हिम्मत हारती या निराश होती ;सुहाना कहती कि ,"मन के हारे हार है और मन के जीते जीत । तुझे कोशिश करनी ही होगी । कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।"
आज भी उसके बिना कहे ही सुहाना उसके मन की बात समझ गयी थी।