मन के हारे हार, मन के जीते जीत
मन के हारे हार, मन के जीते जीत
"क्या हुआ रोहन आपको? आपका चेहरा क्यो मुरझाया हुआ है!' जैसे ही रोहन आँफिस से आया रिया ने पूछा। रोहन थम से सोफे पर बैठा और फफक फफक कर रो पड़ा।
"क्या हुआ रोहन? कुछ बताओ तो सही यूं बच्चों की तरह क्यों रो रहे हो मेरा मन घबरा रहा है प्लीज़ रोहन चुप हो जाओ मुझसे बात करो।"
रिया वो हम ...रिया हम बर्बाद हो गये, तबाह हो गये, हमे बिजनेस में भारी नुकसान हुआ है। कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करूँ। कल अगर मांगनेवालों की कतार मेरे घर के बाहर खड़ी होगी, मैं उन्हें क्या जवाब दूँगा, मेरे पापा की कितनी इज़्ज़त थी समाज में, लोग क्या कहेंगे। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा एक बार तो मन किया की कहीं जाकर मर जाऊँ।"
"रोहन यह क्या बोल रहे हो। मेरे और बच्चों के बारे में तो सोचों आप इतने बुजदिल कब से हो गये। नफा नुकसान हर व्यापार में होता है हम थोड़े ही किसी का पैसा खाकर भाग रहे है। रोहन डरो मत मन के हारे हार है मन के जीते जीत ,अगर तुम और में दोनों मिल जाये तो दो है पर जब तुम और मैं साथ खड़े है तो" एक और एक ग्यारह "है। रोहन मेरे पास कुछ गहने है,और रुपये भी है। इससे हम छोटा मोटा बिजनेस शुरू कर देगे।पता है मुझे आसान नहीं होगा यह सब, पर अगर हम साथ है तो मुश्किल भी नहीं है। यह मत भूलो की हर अंधेरी रात के बाद एक सुनहरी सुबह भी होती है।"
