Priyanka Gupta

Drama Inspirational

4.5  

Priyanka Gupta

Drama Inspirational

मम्मीजी की साड़ी

मम्मीजी की साड़ी

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इंटरव्यू की डेट नज़दीक आती जा रही थी, लेकिन अभी तक भी मैं इंटरव्यू में पहनने के लिए कोई साड़ी खरीद नहीं पायी थी। मुझे कोई फॉर्मल साड़ी पसंद ही नहीं आ रही थी। मुझे सिल्क या कॉटन की ग्रेसफुल साड़ी चाहिए थी।समय की वैसे ही कमी थी, ऊपर से बाज़ारों की धूल फाँकने के बाद भी मुझे अपनी पसंद की कोई साड़ी नहीं मिल पा रही थी। मैं ऐसी साड़ी नहीं ढूँढ पा रही थी, जिसे पहनकर मैं आत्मविश्वास के साथ अपनी ज़िन्दगी का इतना महत्त्वपूर्ण इंटरव्यू दे सकूँ। 

मेरी शादी हो चुकी थी । सासू माँ सिल्क और कॉटन की साड़ियाँ पहनती थी ;वे जॉब भी करती थी तो उनके पास साड़ियों का अच्छा -खासा कलेक्शन था। एक दिन मैं उनके कमरे में किसी काम से गयी ;तब मम्मी जी अपनी अलमारी जँचा रही थी। तब ही मेरी नज़र उनकी एक मेहन्दी रंग की ताँत की साड़ी पर पड़ी ;साड़ी का रंग मुझे भा गया और साड़ी छोटे बॉर्डर वाली थी। कॉपर कलर का बॉर्डर साड़ी पर काफी अच्छा लग रहा था।

"मम्मी जी, आपकी यह साड़ी तो बहुत ही सुन्दर है।",मैंने बात शुरू करते हुए कहा। 

"सुन्दर ही नहीं, बहुत लकी भी है।",मम्मी जी ने साड़ी हाथ में लेते हुए कहा। 

"वो भला कैसे ?",मैंने पूछा। 

"सुनंदा बेटा, जब मेरा टीचर की जॉब के लिए इंटरव्यू था ;तब मैंने यही साड़ी पहनी थी। शादी हो चुकी थी ;सजल तब बहुत छोटा था ;तब मेरी माँ ने इंटरव्यू में पहनने के लिए मुझे यह साड़ी लाकर दी थी।",मम्मी जी याद करते हुए बोली। 

"हाँ, मम्मी जी, लकी तो है यह साड़ी ;आपका इंटरव्यू में चयन भी हो गया था।",मैंने कहा। 

"हाँ बेटा, मेरी माँ चाहती थी कि मैं पढ़ -लिखकर खूब नाम कमाऊँ। अनपढ़ होते हुए भी, वह मुझे हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती थी।",मम्मी जी ने बताया। 

"जी मम्मी जी, माँ तो होती ही ऐसी हैं।",मैंने कहा। 

"जानती हो बेटा, उसके बाद मैंने यह साड़ी कभी नहीं पहनी। सम्हालकर रख दी थी ;सोचा था कि ज़िन्दगी में अगर फिर कभी आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा तो पहनूँगी ;लेकिन घर -गृहस्थी में ऐसी उलझी न कि फिर कभी कोई एग्जाम दिया ही नहीं। फिर सोचा था कि मेरी कोई बेटी होगी तो उसे यह साड़ी दूँगी ;ताकि इस लकी साड़ी को पाकर वह अपने सपने पूरे कर सके। लेकिन सजल के बाद कोई बच्चा हुआ ही नहीं।",मम्मीजी ने कहा। 

"मम्मीजी, आप यह साड़ी मुझे देंगी ?",मैंने पूछा। 

"बेटा, तुमने तो मेरे मुँह की बात छीन ली। जब से तुम्हारा इंटरव्यू कॉल हुआ है, तब से मैं यह साड़ी तुम्हें देने का सोच रही थी। लेकिन थोड़ा झिझक रही थी कि अपनी पुरानी साड़ी तुम्हें कैसे दूँ ?",मम्मी जी ने कहा। 

"झिझक कैसी मम्मी जी ? मैं अपनी मम्मी की भी तो साड़ी पहन लेती हूँ, तो आपकी साड़ी क्यों नहीं पहनती। फिर यह तो लकी साड़ी है और इसमें तो नानी माँ का भी आशीर्वाद है।",मैंने कहा। 

"हां बेटा, ईश्वर करे कि तुम्हारा चयन हो और वह भी डिप्टी कलेक्टर के पद पर।",मम्मी जी ने कहा। 

मैंने मम्मी जी से उस लकी साड़ी के रूप में आशीर्वाद ले लिया था। 


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