मकड़जाल
मकड़जाल
“ओह ! ये फिर तुम लोगों ने खिलौने बिखेर दिये... कितनी बार कहा है कि मुझे ये फैला हुआ घर ज़रा भी अच्छा नहीं लगता... जल्दी से इन्हें समेटो और अपना बैग लेकर आओ...देखूँ क्या होमवर्क मिला है ? “ विधि ने अपने दोनों बच्चों मोहक और मिली को डाँट लगाई, और अपनी सासू माँ को चाय देने उनके कमरे की ओर बढ़ चली।
उन्हें चाय देने के बाद जब उसने मोहक की गणित की कॉपी देखी तो उसका मन ख़राब हो गया “ ये क्या ? दस में दो नम्बर ? ओह...आज तो मोहक का गणित का क्लास टेस्ट था...मैं तो भूल ही गई...मैंने मोहक की टेस्ट के लिये कोई तैयारी ही नहीं कराई...सब मेरी ग़लती है।“
विधि के साथ यही दिक्कत है। वह सुपर वुमन बनने के चक्कर में अपने ही बुने मकड़जाल में फँसती जा रही है। उसे इस बात का सदैव तनाव बना रहता है कि उससे कोई भी कसर न रह जाए। घर में होने वाली हर छोटी छोटी गलतियों के लिये वह स्वयं को ज़िम्मेदार मानने लगती है...चाहे वह बच्चों के क्लास में आने वाले नम्बर हों...या फिर किसी दिन सब्ज़ी में नमक ज़्यादा पड़ जाये...या फिर सासूमाँ की तबीयत ख़राब हो जाये। विधि को लगता है उसे हर काम हर जगह बिलकुल पूर्णता से करना चाहिये और जब ऐसा नहीं हो पाता तो वह अवसादग्रस्त हो जाती है।
हालाँकि उसका पति विशाल उसे हमेशा ही समझाने की कोशिश करता है “ तुम नाहक इतना परेशान होती हो विधि...ग़लतियाँ इंसानों से ही होती हैं...और तुम भी इंसान ही हो विधि...इतना पूर्णतावादी होना ठीक नहीं।“ पर विधि तो जैसे कुछ समझना चाहती ही नहीं ।इस तनाव के कारण तो उसके चेहरे से जैसे मुस्कुराहट ही ग़ायब हो गई है।
विधि मोहक के नम्बरों को देख दुखी हो ही रही थी कि उसकी छोटी बहन वंदना घर आ गई। वंदना, विधि से बिलकुल उलट, हर पल ख़ुशी से जीने वाली लड़की है।
वंदना को देख विधि हैरान हो गई और बोली “अरे वंदू, तू कैसे आ गई, बिट्टू के तो पेपर्स चल रहे हैं न ?“
“अरे दी, बिट्टू अब बड़ा हो गया है, खुद से पढ़ाई करने लगा है...उसे अपना भला बुरा खुद पता है... मैं कब तक उसके पीछे पड़ी रहूँगी... और तुम भी अपने ख़ुद के बनाये मकड़जाल से बाहर निकलो...जैसे मकड़ी अपने ही बुने हुए जाले में फँस कर दम तोड़ देती है वैसे ही तुम भी सुपर मॉम और सुपर वुमन बनने के दबाव में अपनी ज़िन्दगी जीना ही भूल चुकी हो...इस दबाव ने तुमसे तुम्हारी मुस्कुराहट ही छीन ली है...ज़िन्दगी खुल कर जियो और घर के सारे कामों को सभी परिवार के सदस्यों में बाँटो...तुम जब सब के बीच ज़िम्मेदारियाँ बाँटोगी तब सब उसे ख़ुशी ख़ुशी निभायेंगे।“
वंदना की बातों ने विधि पर जादू सा असर किया। उसने निश्चय कर लिया कि अब वह सुपरवुमन बनने की चाह में अपनी मुस्कुराहटों की तिलांजलि नहीं देगी। विशाल ने भी चुटकी ली।“ तुम्हारी बहन ने कहा तो तुमने मान लिया, इतने समय से मैं समझा रहा था तो कुछ नहीं।“
विधि ने अपने मकड़जाल से बाहर आने का और अपनी ज़िन्दगी खुल कर जीने का फ़ैसला कर लिया था।