Pratik Prabhakar

Abstract

4.0  

Pratik Prabhakar

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मिर्ज़ापुर--कहानी अभी बाकी है

मिर्ज़ापुर--कहानी अभी बाकी है

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कालीन भईया का होता था कभी मिर्ज़ापुर , पर आज बबलू पंडित बैठा था मिर्ज़ापुर की गद्दी पर। त्रिपाठियों के नाश का कारण बना था बबलू पंडित।पर उसके लिए इतना आसान नहीं रहा था सबकुछ। अपनी पत्नी और भाई को खोने के बाद ही उसे मिर्ज़ापुर की गद्दी मिली थी।


गजगामिनी गुप्ता उर्फ़ गोलू गुप्ता भी अब मिर्ज़ापुर आ गयी थी। उसकी छवि भी अब पहले जैसी नहीं रही थी। उधर कालीन भईया को अपने घर ले गया था शरत शुक्ला। वैसे तो शरत शुक्ला के पिता के क़ातिल थे कालीन भईया। पर असली कातिल तो बबलू ही था । और वैसे भी शरत जानता था कि बिना कालीन भईया की मदद के वो मिर्ज़ापुर को नहीं पा सकता था। 


पर किसे पता था कि मुन्ना त्रिपाठी मरेगा नहीं। हुआ कुछ यूं था कि गोली लगने के बाद उसे घटना के स्थान पर ही छोड़ दिया गया था। और माधुरी देवी को उधर कार में अपने पति मुन्ना की चिंता सता रही थी। उसने अपने ड्राइवर को गाड़ी मोड़ने को कहा। जैसे ही वो घटना स्थल पर पहुंची उसके होश उड़ गए। मुन्ना की हालत देख वो बेहोश सी होने लगी। मुन्ना में जान अब भी बाक़ी थी। 


हॉस्पिटल में भर्ती कराने पर पता चला था कि मुन्ना को साईटस इन्वेर्सिस की बीमारी थी जिसमें शरीर के सभी दाये और बाएं अंग अपनी स्तिथि बदल लेते हैं। तभी तो मुन्ना त्रिपाठी हमेशा कहता रहता था कि वो अमर है।

इसके कारण उसका दिल दाएं तरफ था । मुन्ना त्रिपाठी बच गया था। अब बस उसे बदला लेना था। पहले तो वो शरत के घर जाकर कालीन भईया से मिला और योजना बनाने लगा।


बीना त्रिपाठी अभी त्रिपाठी कोठी में ही थी उसे पता था कि कालीन भईया बच गए हैं पर उसे यह मालूम नहीं था कि मुन्ना भी बच गया है। खूनी संघर्ष फिर शुरू होने ही वाला था। 


माधुरी देवी को जैसे ही इस बात की भनक लगी वो मुन्ना को समझाने लगी। पर मुन्ना समझने वाला कहाँ था। वह बदले की आग में झुलस रहा था। माधुरी ने समझ लिया था कि यदि वो राज्य में शांति चाहती है तो उसे सुलह करवानी होगी। 


यह भी तय हो गया था कि गोलू को मंत्रिमंडल में जगह दिया जाएगा और बबलू पर लगे सारे केसेस वापस लिए जायेंगें।मिर्ज़ापुर का किंग कोई नहीं होगा। पर सबको मालूम था ऐसा होने वाला नहीं था।


बाद में हारकर माधुरी ने मुन्ना और बबलू को पांच साल के लिए जेल भेजवा दिया। अब मिर्ज़ापुर में कुछ शान्ति थी । कालीन भईया मिर्जापुर आ गए थे। सबको पता था फिर से खूनी खेल शुरू होने को था।


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