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Dr.Pratik Prabhakar

Horror Crime Thriller

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Dr.Pratik Prabhakar

Horror Crime Thriller

मौत दिखाती आँखें

मौत दिखाती आँखें

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"डॉक्टर साहब,मैं परेशान हूँ ।" कहते हुए रमेश नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ संभव के समक्ष प्रस्तुत हुआ। 

डॉ. संभव ने पूछा "क्या समस्या है ?"

रमेश ने कहना शुरू किया , " डॉक्टर, बात दो महीने पहले की है जब मेरी आँखों में तेज जलन होती थी, और उसके लिए मैंने आपके ही अस्पताल के डॉ अस्थाना से आँखें दिखवाई थी। उन्होंने कुछ ड्रॉप्स लिखे थे पर मेरी समस्या बढ़ती गयी । कुछ दो -तीन दिनों बाद मुझे रात में सपने दिखने लगे। ये सभी सपने काफ़ी भयावह थे। मुझे लोगों की मौत दिख रही थी।" 

डॉ संभव को लगा कि रमेश को मानसिक समस्या है। इसके लिए उन्होंने उसे मानसिक रोग की बीमारी के डॉक्टर के पास रेफर कर दिया। 

पर रमेश समझ गया था कि ये डॉक्टर भी डॉ अस्थाना की तरह मुझे कहीं और भेज रहे। उसने कहना शुरू किया

" मुझे कहीं और मत भेजिए, पिछली बार डॉक्टर अस्थाना ने भी यही गलती की थी और मुझे कोई फायदा नहीं हुआ उस मानसिक रोग के थेरेपी से"।

इधर डॉ संभव का दिमाग़ ठनका कहीं डॉक्टर अस्थाना और एक अन्य नेत्र रोग के डॉक्टर की मौत के पीछे का राज़ रमेश को ही तो नहीं पता।

डॉ संभव ने पूछा,

"आपको किनकी मौत दिखती है ?"

रमेश ने कहा 

"मुझे डॉक्टर्स की मौतें दिखती हैं, एक बच्ची और एक जवान व्यक्ति की मौतें दिखती हैं। पिछली बार जब मैं हॉस्पिटल आया था और जिन डॉक्टरों ने मेरा इलाज़ किया उनकी मौतें दिखती हैं।"

डॉ सम्भव की हालत ख़राब हो रही थी । उन्होंने रमेश से पूछा

"क्या आपको पता है , डॉ अस्थाना की मौत कुछ दिन पहले ही हुई है??""

रमेश चौंक पड़ा , 

"क्या?? पर ऐसा कैसे हो सकता, मेरे सपने सच हो सकते हैं। क्या मैं जिन्हें भी सपने में मौत प्राप्त करते देखता हूँ वो मर जाते हैं? तब तो पिछली रात मैंने आपके जैसे दिखने वाले व्यक्ति की मौत सपने में देखी है।"

इधर डॉ संभव के डर के मारे हाथ पैर फूल रहे थे। डॉ संभव ने पूछा कि और किसकी किसकी मौतें उसे सपने में दिखती है।

"पिछली बार तो एक छोटी बच्ची और एक जवान आदमी की मौतें दिखी थी, जिसे किसी ऑपेरशन थिएटर में मेडिकल स्टॉफ जहर का इंजेक्शन देकर मार रहे थें ।"

डॉ संभव अब तक समझ चुके थे कि उन्होंने डॉ अस्थाना और एक अन्य डॉक्टर के साथ मिलकर आँखों के प्रत्यारोपण का रैकेट चलाया था , जिसमें उन्होंने कई भोले भाले ग़रीब लोगों की आँखे निकाल कर उन्हें मौत के घाट उतारा था।

इधर रमेश की पूरी आँखें लाल हो रही थी अब पुतली का रंग भी सफेद से लाल हो गया था। उसकी आवाज़ बदल गयी।

"सभी को अपने कृत्यों के फल यहीं भोगने हैं, आज तुम्हारी बारी है डॉक्टर, यह कहते हुए, एक नुकीले यंत्र से रमेश ने डॉक्टर संभव की आँखें निकाल डाली फिर गला दबाकर उसे मार डाला। कल के अख़बार में सुर्खियों थी

"नेत्र रोग विशेषज्ञ की आँखें निकाल कर हत्या, दो मेडिकल स्टाफ़ भी मौत के घाट उतारे गए।"


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