महिलाओ का सशक्तिकरण
महिलाओ का सशक्तिकरण
महिलाओ का सशक्तिकरण का अर्थ किन शब्दो मे बयान करो करना थोड़ा मुश्किल लेकिन एक छोटी सी कोशिश करती हूँ। महिलाओं की शक्ति आपर होती है उसको जो लोग समझ नहीं पाते वो मेरी नज़र मे तुच्छ प्राणी है।महिला शक्तिकरण अपने आप अर्थ प्रशीत करता है की हर महिला अपने निर्णय लेने मे सक्षम हो और वो शक्तिशाली बने।
पहले के समय ज्यादातर अधिकार पुरुष के थे।जैसे जैसे समय बिता नारियो को अपनी शक्ति का एहसास होने लगा। महिलाओ को अपनी शक्ति का जब एहसास हुआ तब वो अपने अधिकारो के बारे मे जागरूक हो गई।उनको ये समझ आने लगा की समाज मे अपना स्थान कैसे बनाया जाये। एक बात आप लोगो के लिए एक बात जानना जरुरी है की जब एक महिला अपना कदम बढ़ाती हैं तो वो अपने परिवार को आगे ले जाती हैं अपने देश को आगे ले जाती है।हमारे समाज में महिला और पुरूष मे समानता होनी चाहिए। अपने परिवार मे एक महिला एक अहम भुमिका निभाती है वह हर सम्यसा का समाधान आसानी से कर लेती है।हमारे देश मे महिला के कही रुप जाने जाते है- माँ,बहन,बेटी,बहू, देवी और पत्नी लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि महिलाओ की जिन्दगी यही तक सीमित है उनको समाज मे आगे बढ़ने की प्रेरणा देना भी बहुत जरुरी है। पहली की समय मे बात विवाह कोपृथा थी जिसकी कारण लड़कियो का विवाह छोटी उम्र मे हो जाता था और वो शिक्षित नही हो पाती थी,लेकिन अब तो एक ही उम्र 18 साल निधारत कर दी गई है। जिससे लड़कियाँ अपने आपको शिक्षित बना सकती है। सबसे पहले ये समझना होगा की बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ जब आप बेटी को बचाओगे जभी तो बेटियाँ अपनी शक्ति का समर्थन करतें हुए आगे बढेंगी।
नारी एक अभिमान है।
परिवार की शान है।