मेरी क्यूटी पाई
मेरी क्यूटी पाई
"मौसी कैसे हो आप जल्दी से ठीक हो जाओ मुझे आपकी बहुत याद आ रही है !" सुबह सुबह भांजी खुशी के भेजे वॉइस मेसेज से तृप्ति के मुरझाए चेहरे पर हंसी आ गई।
" मैं जल्दी ही ठीक होकर अपनी क्युटी पाई से मिलूंगी क्योंकि मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आ रही है !" तृप्ति ने मेसेज का जवाब भेजा।
तृप्ति इस वक़्त कोरोना से लड़ रही है तो किसी से मिलना मिलाना तो होता नहीं ऊपर से जब फोन उठाओ तो कभी किसी के स्टेटस पर किसी की बीमारी की खबर तो कभी किसी के स्टेटस पर किसी की मौत की खबर देख एक घबराहट सी होती है। इंसान अपनी लड़ाई तो लड़ ले पर अपनों को हारते देख घबराहट होना लाजमी है। पर आज दस साल की भांजी खुशी के इस मेसेज ने सुबह सुबह चेहरे पर मुस्कुराहट ला दी।
तभी फोन की रिंग टोन बजी देखा बहन का वीडियो कॉल था।
" हेल्लो मौसी क्या कर रहे हो !" खुशी का प्यारा सा चेहरा स्क्रीन पर नजर आया।
" बस बेटा अभी चाय पीकर बैठी हूं आप बताओ !" तृप्ति चेहरे पर मुस्कुराहट ला बोली।
" मैं कुछ नहीं कर रहा था बस थोड़ी देर में क्लास है तो सोचा तब तक मौसी से बात कर लूं मौसी अकेले बोर हो रही होंगी !" खुशी बोली।
" हां बेटा मैं बोर तो हो रही थी अच्छा हुआ आपने कॉल कर लिया क्योंकि यहां सब काम में लगे है अपने अपने और मेरे कमरे में कोई आ भी नहीं सकता !" तृप्ति बोली।
" पर मैं तो आ गया मौसी आपके पास !" खुशी हंसते हुए बोली।
खुशी की ये बात सुन तृप्ति को जोर से हंसी आ गई " हां बेटा आप तो मेरी बहादुर बेटी हो ना मेरी प्यारी सी क्युटी पाई !" वो बोली।
" और आप मेरी स्वीट सी मौसी !" खुशी हंसते हुए बोली।
तृप्ति खुशी को क्यूटी पाई ही बोलती है और खुशी तृप्ति को मेरी स्वीट सी मौसी। दोनों काफी देर बात करती रही खुशी बार बार तृप्ति को हंसाती रही और उसका मन बहलाती रही।
"अच्छा मेरी स्वीट सी मौसी अब मैं क्लास ले लूं बाद में बात करती हूं आप खाना खाओ फ्रूट्स खाओ जल्दी से सही हो जाओ !" खुशी ये बोल चली गई।
तृप्ति के चेहरे पर अभी भी मुस्कुराहट थी छोटी सी बच्ची कितनी समझदार हो गई है।
" क्या बात है मम्मा क्यों मुस्कुरा रही हो अकेले अकेले !" तृप्ति की 18 साल की बेटी प्रतीक्षा कमरे के बाहर नाश्ता रखते हुए बोली।
" कुछ नहीं वो दादी मां है ना हमारी उसकी वीडियो कॉल आई थी !" तृप्ति हंसते हुए बोली।
" अच्छा तो अब आपको मिला ली उसने कॉल पहले मुझे कॉल करके बोलती है मेरी स्वीट सी मौसी का ध्यान रखना उन्हें टाइम पर खाना देना फ्रूट्स देना !" प्रतीक्षा हंसते हुए बोली।
" हा हा हा !" देखा मेरी क्यूटी पाई को कितनी फिक्र मेरी !" तृप्ति हंसते हुए बोली।
" हां जी आपकी क्यूटी पाई को ही फिक्र है हम तो पागल हैं यहां !" प्रतीक्षा नकली गुस्सा दिखाती बोली। फिर दोनों मां बेटी हंस दी।
खुशी रोज़ तृप्ति को कॉल करती ढेरों हिदायतें देती उसका मन बहलाती।
जो तृप्ति अपनी रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उदास थी नन्ही खुशी का साथ पाते ही खिलखिलाने लगी और जल्दी स्वस्थ भी होने लगी। अब उसे हर दिन इंतजार रहता खुशी की कॉल का। खुशी का उसे हिदायतें देना , प्यारी सी डांट लगाना और ठीक होने पर उसकी ढेरों फरमाइशें पूरी करने का वादा लेना उसे खुशी के और करीब ले आया।
सच है दोस्तों भले इस बीमारी ने एक दूरी ला दी पर किसी का प्यार और साथ मिल जाए तो जिंदगी खिलखिला उठती है और बीमारी कहीं दूर भाग जाती। ऐसे लोग हमारी जिंदगी के बहुत करीब हो जाते हैं जो दुख में हमारा साथ देते है। और साथ देने वाला खुशी जैसा हो तो जिंदगी तो मुस्कुरा नी ही है।
क्यों सही कहा ना दोस्तो ?
आपकी क्या राय है बताइएगा जरूर
