मेरी इच्छा
मेरी इच्छा
अखबार में विश्व के पर्यटन स्थलों के बारे में लेख पढ़कर श्वेता की भी इच्छा हुई कि वो लंदन घूमने जाये। लंदन आई, तुसाद एम्पोरियम के बारे में उसने बहुत सुना था। पर उसके हालात ऐसे नहीं थे की वो वहां जा सके।
एक दिन अखबार में एक प्रतियोगिता का विज्ञापन देखा, उसमें विजेता को लंदन घूमने का अवसर दिया जा रहा था। श्वता को तो मानो एक राह मिल गई थी। वह मन में सपने सजाने लगी। और सारा ध्यान प्रतियोगिता को कैसे जीता जाय उस पर फोकस करने लगी।
प्रतियोगिता के लिए उसने जी जान डालकर पूरा किया। और अपनी एन्ट्री भेज दी। और अब रहा तो मात्र इंतजार वो भी परिणाम का।
और वो दिन भी आ ही गया, परिणाम घोषित हुए। परिणाम में खुद का विजेता सूची में नाम देख कर उसकी आँखों से ऑंसू छलकने लगे। आज उसका बरसों पुराना सपना पूरा होने जा रहा था।
और लंदन जाने की तैयारी में लग गयी। सारी पैकिंग की। और हाँ वो पहली बार हवाई जहाज़ में यात्रा कर रही थी, यह सोच कर वो बहुत रोमांचित भी थी। अपनी विदेश यात्रा के सफर के लिए वो अपने वतन से रवाना हुई। जैसे ही लंदन की धरती पर पैर रखा, खुशी के मारे वो उछल पड़ी।
