Monika Sharma "mann"

Drama Inspirational

5.0  

Monika Sharma "mann"

Drama Inspirational

मेरी बहू मेरा बेटा है

मेरी बहू मेरा बेटा है

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कमला आज बहुत परेशान थी। आईसीयू के रूम के बाहर बैठी-बैठी यही सोच रही थी कि पापा जी की जान कैसे बचाएं।

आज पापा को पूरे 15 दिन हो गए, आईसीयू में एडमिट हुए। मम्मी जी की भी हालत बहुत बुरी है। हमेशा रोती रहती है, भगवान के सामने गिड़गिड़ाती रहती है।


क्या करें, क्या ना करें। कमला के पति का देहांत आज से 4 साल पहले एक रोड एक्सीडेंट में हो गया था। वह बहुत परेशान थी। उसका बेटा अभी 7 साल का ही था।


उसको पड़ोस में एक आंटी के घर छोड़ती और सुबह से रात तक लड़ने के लिए तैयार हो जाती, एक नई मुसीबत से। डॉक्टर कभी कुछ नया बोलते, तो कभी कुछ नया।


पैसे खत्म हो गए थे लेकिन वह थी कि हार ही न मानती थी। ऑफिस जाती वहां से भाग भागकर हॉस्पिटल आती। हॉस्पिटल से घर। न जाने कहां से उसमे इतनी शक्ति आ गई थी, कि वह यह सब संभाल रही थी और रात में आंखों में से नींद पता नहीं कहां चली गई थी।


पति के जाने के बाद उसने ना सोचा था की मुसीबतें उसका पीछा छोड़ना चाहती ही नहीं, उसे पकड़े रहना चाहती है। कितना गिडगिडाई थी भगवान के आगे। इतना तो शायद किसी ओर इंसान के सामने गिड़गिड़ाती तो वह भी पिघल जाता। भगवान तो पत्थर बना बैठा था। उसे उस बेचारी पर कहां तरस आ रहा था।


अगले दिन 4:00 बजे स्कूटी उठाकर हॉस्पिटल पहुंच गई। आईसीयू के बाहर गार्ड से प्रार्थना की, "भाई एक बार पापा से मिल आने दे।” उसने भी तरस खाकर भेज दिया।

पापा जी लेटे हुए थे लेकिन आंखों में नींद न थी। उन्होंने जैसे ही कमला को देखा तो हाथ उठाया।

कमला समझ गई पापा कुछ कहना चाहते है, आगे बढ़ी पापा का हाथ अपने हाथों में लिया।

बस पापा ने यही बोला, तू मेरी बहू नहीं मेरा बेटा है। अगर मेरा बेटा होता तो मुझे छोड़कर ना जाता, तू मुझे छोड़कर मत जाना।


कमला खूब जोर से रो पड़ी, “नहीं पापा मैं आपको कभी छोड़कर नहीं जाऊंगी, कभी भी नहीं।”

अपने आप को संभालती हुई बाहर निकल आई। वहीं बैठी रही। डॉक्टर का इंतजार करने लगी। डॉक्टर ने पापा को देखकर बोला, 2-3 टेस्ट के बाद आपके पापा को आईसीयू से शिफ्ट कर दिया जाएगा। कमला खुश हो गई थी। उसने फिर भगवान को हाथ जोड़े, "हे भगवान तू मेरी प्रार्थना सुन रहा है या नहीं वह तो मुझे नहीं पता मगर हां मैं आज भी तुझे धन्यवाद देती हूं। तूने मेरी प्रार्थना सुनी!”


2 दिन बाद पापा जी आईसीयू से वार्ड में शिफ्ट हो गए और हफ्ते के अंदर ही घर आ गए। मगर उसके सास-ससुर को एक पल के लिए भी यह ना लगा कि इतनी मुसीबतों में भी उनका बेटा उनके साथ न था वह है उनके साथ ही है उनकी बहू के रूप में और हमेशा रहेगा।


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