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Dr.Pratik Prabhakar

Abstract Drama Tragedy

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Dr.Pratik Prabhakar

Abstract Drama Tragedy

मेरे देश के नेता

मेरे देश के नेता

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लोकसभा चुनाव होने में एक महीने बाकी है। नेताजी ने भाषणों की एक पुस्तिका ही बना ली थी। टाइम टेबल निर्धारित हो गए। हेलीकॉप्टरों की उड़ान शुरू हो गई। हेलीपैड बनकर तैयार हुए, भले ही हरे फसलों को खेत से काट लिया गया, हेलीपैड बनाने के लिए। 

परंतु ,किसान भाइयों के चेहरे पर शिकन तक ना आई क्योंकि उन्हें भरपूर मुआवजा दिया गया था और यह विश्वास दिलाया गया था कि नेताजी के जीतते ही उन पर इंदिरा आवासों ,वृद्धावस्था पेंशन, चापाकल ,लाल कार्ड की बारिश होगी। किसान अपने सपने में खो गए।

कार्यकर्ता प्रचार करने लगे फलाँ तारीख को नेता जी आ रहे हैं। पंपलेट बांटे गए। भोपू से प्रचार किया गया। जलेबी वालों को ऑर्डर दिया गया। सामयाने की व्यवस्था की गई।

निर्धारित समय पर नेताजी को आना चाहिए था ,पर नेता जी आए देर से। ऊपर से पहले तो हेलीकॉप्टर से उन्हें क्षेत्र के चारों ओर गोल गोल घुमाया गया शायद इसलिए कि लोगों को पता चले कि नेता जी पधारने वाले हैं।

लोग समय आने की ओर दौड़े।


बच्चों के लिए यह सब स्वप्न जैसा था। अधनंगे बच्चे ताली बजा बजाकर हंसने लगे। वो ऊपर की ओर देख रहे थे जिनके माता-पिता हमेशा खुद को नीचा ही देखते थे। 

लाउडस्पीकर पर गीत बज रहा था ""मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती"'

यह कैसी विडंबना थी यह गीत उस धरती पर बज रही थी ,जहां के हरे फसल पकने से पहले काट लिए गए थे। नेताजी मंच पर पधारे सारे क्षेत्र के फूलों से नेताजी को लाभ दिया गया। फिर नेता जी ने विपक्षियों के खिलाफ जहर उगला विष बाण चलाएं लोग जिंदाबाद करते रहे।


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