Priyanka Shrivastava "शुभ्र"

Drama

3.7  

Priyanka Shrivastava "शुभ्र"

Drama

मेरा घर कहाँ है

मेरा घर कहाँ है

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    आज फिर मेरा मन काचोटने लगा। कैसे समझाऊँ उसे, कैसे बताऊँ वो सिर्फ रमण की माँ नहीं , सिर्फ कमिश्नर की पत्नी नहीं…..


 वो कहती रही ये मेरा घर है, ये मेरा घर है और हर बार सुनती रही ये राजा राम का घर है तू उनकी बहू है। ये तो तेरा ससुराल है। बनारसी लाल वकील साहब की बेटी है न.? डॉक्टर वीरेंद्र लाल की बहन.., कलक्टर साहब की पत्नी ..कलक्टर साहब का प्रमोशन हुआ तो कमिश्नर की पत्नी कहलाई। बेटा डॉक्टर हुआ तो डॉक्टर साहब की माँ बन गई। अच्छी खासी पढ़ी लिखी, फिजिक्स की प्रोफेसर, और अपनी पहचान, अपना नाम ही भूल ही गई। कभी किसी ने उसको उसके नाम से पुकारा ही नहीं। रमण की माँ..रमण की माँ..सुनते सुनते रमण की माँ ही उनका नाम हो गया। 

 शायद कुछ तकलीफ हुई थी जो चलते-चलते सड़क पर ही बैठ गई गुमसुम और वहीं बेहोश हो गई थी कि किसी नेक दिल वाले ने डॉ रितु के पास पहुँचा दिया। 


डॉ रीतु सिन्हा शहर की मशहूर हार्ट रोग विशेषज्ञ जिससे दिखाने के लिए दो दो दिन पहले नम्बर लेना पड़ता है। किसी भी प्राइवेट हॉस्पिटल में इमरजेंसी में पेसेंट को भर्ती नहीं करते पर डॉ रितु के यहाँ रात के दो बजे भी इमेरजेंसी में डॉक्टर हाजिर रहती हैं। मेडिकल की डिग्री लेते समय जो वचन लिया था वो उन्हें ऐसा करने को सदा ततपर रखता है। और खुदा की रहमत भी है कि हार्ट स्पेसलिस्ट होते हुए भी अभी तक एक भी पेसेंट उसके दरवाजे नहीं मरा । सभी के होठों पर डॉ रितु की नाम के प्यार के दो शब्द होते हैं। इतना कुछ होने के वावजूद वो नारी है इस लिए उनसे भी पूछा गया आपका ससुराल कहाँ है और आपका मायका कहाँ है? ये घर तो उसके पति और बच्चों का है। उसका कहाँ …?  

बच्चों का कहना सर्वथा अनुचित है। बेटा का है कहना चाहिए। क्योंकि बेटी को तो वहीं डंस सहने होंगे जो वो सह रही है या हर नारी सहती है। 


  आज इस रमण की माँ को ही देखो अपना नाम भूल चुकी है। कैसे बताएँ कि वो सिर्फ डॉक्टर रमण की माँ नहीं उनकी अपनी भी पहचान है। फीजिक्स की व्याख्याता लीली सिन्हा को कौन नहीं जानता अभी सिर्फ लिली सिन्हा के सिवा। 


  अभी यदि कोई उनसे पूछता है आप कहाँ रहती हैं तो कहती हैं मेरा ससुराल मोतिहारी है, मायका सिवान है। आप रहती कहाँ हैं पूछने पर .

"बेटा कमिश्नर है न, उसी के घर रहती हूँ।"

आपका नाम क्या है..?

"रमण की माँ।"

नहीं अपना नाम बताएँ.?

"मेरा कोई नाम नहीं, सभी रमण की माँ ही कहते हैं।"


   हृदय गति कम होने से उन्हें पेसमेकर लगाना पड़ा। ऑपरेशन के पहले से ही भूलने की शिकायत हो गई थी। अपना नाम ही भूल गई हैं पर ससुराल कहाँ है, मायका कहाँ है, किसकी माँ हैं ये अच्छी तरह से याद है। खाना खाई की नहीं ये भूल जाती हैं पर ये तीन प्रश्न ससुराल कहाँ, मायका कहाँ और किसकी माँ ये नहीं भूलती।   आँखें भर आती है मेरी इनके इन सभी जवाब पर और मैं विचलित हो जाती हूँ कि इन्हें इस हाल में पहुँचाने में किसका योगदान है …?

  सच ये सवाल हमें अर्थात हम नारियों को वर्षों मथते रहेंगे की मेरा घर कहाँ है …?

         



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