Padma Agrawal

Inspirational

4.5  

Padma Agrawal

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मेघना

मेघना

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38 वर्षीय मेघना अपने घर की बॉलकनी से डूबते सूरज को देख रही थी . आसमान में चारों तरफ उदासी के पीले बादल छाये हुये थे . उसके मन का एक कोना भीगा हुआ था ... रह रह कर उसका मन हिचकोले खा रहा था वह अजीब तरह का सूनापन महसूस कर रही थी ....

आंसुओं की गरम -गरम बूंदें उसकी आंखों से टपक रहीं थीं ... आज वह स्वयं को रोक भी नहीं पा रही थी ...

अम्मा के व्यवहार से ऐसा प्रतीत होता है कि मानों वह उनके लिये एटीएम मशीन बन कर रह गई है ...

कल की ही तो बात है .... वह बड़े प्यार से बोलीं , “मेघना मेरी बच्ची कितनी मेहनत करती है ...मैं तुम्हारे लिये अदरख वाली चाय बना कर लाती हूं ....” वह समझ गई थी कि वह उससे कुछ कहना चाहती हैं .... “आप क्यों बनाओगी , बीना बना देगी , वह आ रही होगी .....”

“आपको मुझसे कुछ कहना है ,....

‘” हां ,रीना के बेटा हुआ है ... वह बहुत धूमधाम से फंक्शन कर रहे हैं ....”

“ कब कर रहे हैं “

“10 अगस्त “

“ अभी तो दिन हैं ...

“ठीक है , कितने रुपये चाहिये .... “

“आज दोपहर भर मैं लिस्ट बनाती रही ... मून के लिये चेन , अंगूठी , चांदी के बर्तन , कम से कम 11 जौड़ी कपड़े , घऱ में सबके लिये कपड़े लिफाफे ,.... “

“एक लाख में हो जायेगा ...”

वह खीझ कर बोली , “मुझे बिल्कुल फुर्सत नहीं है ..मैं रुपये ट्रांसफर कर दूंगी ... उन्हें जो चाहिये वह खरीद लें”

अम्मा हाथ नचा कर बोलीं थीं, “भला ऐसा भी कहीं होता है ... “

वह अपना फैसला सुना कर अपने कमरे में जाकर लेट गई थी .. और अपने अतीत में खो गई ... रमन के साथ प्यार और शादी के हसीन सपने सजा रही थी कि एक दिन पापा के एक्सीडेंट के कारण उसके सारे सपने धूलधूसरित हो गये थे ... पापा के ऑफिस में उसको प्रतिनियुक्ति मिल गई और फिर वह उनकी छोड़ी हुई जिम्मेदारियों को पूरा करने मे जुट गई थी ...मलय उस समय इंटर में था और नीरा ग्रेजुएशन कर रही थी ... घर का खर्च , उन दोनों की पढाई , फिर शादी करते करते वह असमय बूढी दिखने लगी थी ... बालों मे चांदनी छिटक गई थी , आंखों के नीचे काले घेरे बन गये थे , आंखों पर मोटा चश्मा , चेहरे पर गहरी उदासी छा गई थी ... सदा चहकने खिलखलाने वाली मेघना जिम्मेदारियों के बोझ तले कहीं खो गई थी और उसकी जगह धीर गंभीर स्त्री बन गई थी ....

अब अम्मा का मन यहां नहीं लगता ... उससे कहतीं मेघना तुम्हारे यहां दिन काटे नहीं कटता .... कभी मलय की बहू के पैर भारी हैं तो कभी नीरा अकेली है , वह बुला रही है कह कर चली जातीं ... और आतीं भी तो वहीं की यादों मे खोई रहतीं ... कई बार वह सोचती भी कि अम्मा उसकी सगी अम्मा हैं या कि सौतेली ...कभी ... भूल कर भी उसकी शादी के बारे में नहीं सोचतीं ... यदि कोई कहता है तो व्यंग से हंस कर कहतीं ... अब शादी की उमर रह गई है क्या .....

तभी मोबाइल की घंटी ने उनकी तंद्रा भंग कर दी , उधर मलय था , “दी सो रही थी क्या ?

 वह घबराया हुआ बोला ,” दी तबियत तो ठीक है न....” उसके प्यार भरे बोल ने उन्हें भावुक कर दिया था ...” अरे कहा न ... मैं बिल्कुल ठीक हूं ...अम्मा, नीरा के बच्चे के लिये सामान भेजने को कह रहीं थीं ....”

“ दी , आप बिल्कुल भी फिक्र न करना ... मैंने सब इंतजाम कर लिया है “

“दी मेरे बॉस लखनऊ ऑफिस के काम से आ रहे हैं , वह लखनऊ घूमना चाहते हैं .... “दी प्लीज मेरे लिये दो दिन का समय निकाल लो ...संडे सुबह पहुंचेंगें ...क्लार्क अवध में रुक रहे हैं “

भला कभी वह भाई की बात टाल सकती है ... आखिर भाई के बॉस का मामला था ....

मेघना ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी .... “अतिथि देवो भव “को ध्यान में रखते हुये वह मन ही मन बॉस के खड़ूस चेहरे की कल्पना करती रही थी लेकिन उसके बॉस जय पहली नजर में ही उसके दोस्त बन गये थे। इमामबाड़ा , रेजीडेंसी , विधानसभा , हजरत गंज , अंबेडकर पार्क घूमते घूमते कब नजदीकियां बढ गई , पता ही नहीं चला था .... मस्तमौला से जय बात बात पर ठहाके लगा कर हंसते ... .वह भी बरसों के बाद इतना खुल कर हंसी थी ... जाते समय जब वह बोले , ‘जल्दी मिलेंगें ‘ उस दिन उन्हें महसूस हो रहा था कि जैसे कोई अपना उन्हें अकेला छोड़ कर चला गया हो .... वह उदास और मायूस हो गई थी तभी फिर से मलय का फोन आया ,” दी मेरे बॉस आपको कैसे लगे .... “

“तुम तो ऐसे पूछ रहे हो जैसे रिश्ता करने जा रहे हो ,” कह कर वह फीकी सी हंसी हंस दी थी

“सच दी ... बस आपकी ‘हां’. सुननी है …”

मेघना का चेहरा शर्म से लाल हो उठा था ...उनकी आंखों के सामने जय का मुस्कुराता हुआ चेहरा घूमने लगा था ।

अगला हफ्ता बहुत गहमागहमी से भरा हुआ था ... सादे समारोह में वह जय की पत्नी और जूनियर जय की मां भी बन गई थी .... मेघना फूली नहीं समा रही थी ...वह अपने पूरे परिवार के साथ मुस्कुराती हुई फोटो शूट करवा रही थी ।मेरे भाई तुमने परिवार के अर्थ को सार्थक कर दिया ....



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