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Maittri mehrotra

Abstract

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Maittri mehrotra

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मधुर मिलन

मधुर मिलन

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राखी और राहुल दोनों के चेहरे खुशी से चमक रहे थे। घर के अंदर आते ही माँ ने खुशी भांपते हुए पूछा"क्या कहा डॉक्टर ने? सब ठीक तो है न"। राखी शरमा के अंदर चली गई राहुल ने कहा"मां आप जल्दी ही दादी बनने वाली हो"। मां शरद पूर्णिमा के चांद को देख कर बोली बस जल्दी से हमारे आंगन में भी एक चांद सा सुंदर मेहमान आ जाएगा। त्योहार की खुशी दुगनी हो गई थी। माँ ने कहा राहुल तेरे ऑफिस से फोन आया था बेटा बात कर लेना। फोन करने पर पता चला राहुल को एक बड़ा प्रोजेक्ट मिला है और कंपनी 2 साल के लिए उसे बाहर भी भेज रही। खुशी की खबर सुनकर भी वह उदास हो गया और सोचा कि राखी सब कैसे संभालेगी? वह जाने से मना कर देगा।

खाना खाते समय उसने मां बाबूजी के सामने समस्या बताइए तो बाबू जी बोले बेटा चिंता मत करो यहां मैं और तुम्हारी मां सब संभाल लेंगे और राखी तो बहुत समझदार है उसकी मर्जी भी पूछ लो। राखी ने जाने को हां तो कर दिया पर अंदर ही अंदर बहुत उदास हो गई। रोज राहुल से फोन पर बात होती। राखी ने सुंदर से बेटे को जन्म दिया। दिन बीतने लगे। आखिर राखी का इंतजार खत्म हुआ। राहुल कल सुबह आ रहे है। कल भी शरद पूर्णिमा का ही दिन है।रात में पूजा के समय राहुल बेटे को गोद में लेकर खड़े थे और राखी पास ही खड़ी थी नई नवेली दुल्हन की तरह। लंबे अंतराल के बाद उनके मधुर मिलन की बेला स्वच्छ चांदनी के समान अमृत मय हो गई थी।


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