आइसक्रीम
आइसक्रीम
"मम्मी, आज पैसे दे दो स्कूल से आते हुए आइसक्रीम खाऊंगा।"..." जल्दी करो मम्मी, ....बस आने ही वाली है।" अनुभव पर्स खोलती है ।"अरे !! खुले पैसे नहीं हैं। ₹100 का नोट है ।" अनुभा बेटे को देती हुई बोली , "यह लो बेटा, पर बचे हुए पैसे मुझे वापस करना।" कहकर सौ का नोट बेटे को दे दिया। "थैंक्यू मम्मी, आप सबसे बेस्ट हो " कहकर क्षितिज स्कूल का बैग उठाकर चला गया।
अनुभा ने क्षितिज का महीने का जेब खर्च नहीं बांध रखा था परंतु वह जब भी पैसे मांगता था तो वह उसे अवश्य ही दे देती थी। साथ ही हमेशा पैसों के सदुपयोग पर जोर देती थी। क्षितिज को छुट्टी का इंतजार था कि जल्दी छुट्टी हो और वह बस में बैठने से पहले आइसक्रीम ले।
छुट्टी होते ही वह जल्दी से बाहर निकला अभी आइसक्रीम के ठेले के पास भीड़ कम थी। सौ का नोट उसे देते हुए ₹35 का अपनी पसंद वाला एक चॉकलेट का कोन लिया और बाकी बचे पैसे लेकर बैग में रख लिए। यह उसे मम्मी को वापस करने थे।
देखते-देखते काफी बच्चों की भीड़ वहां इकट्ठी हो गई। वह मुस्कुराता हुआ बस की तरफ बढ़ ही रहा था कि नजर सड़क के बगल में बैठे हुए एक गरीब बच्चे पर पड़ी जो उसे एकटक देखे जा रहा था।
वह बच्चा कभी उसे देखता कभी उसके हाथ की आइसक्रीम को। उसकी आंखों में एक अजीब विवशता थी और शायद वह भूखा भी था। क्षितिज बस कर चढ़ गया ।अभी दो-तीन बच्चे ही आए थे बस में।
जैसे ही बैठकर आइसक्रीम खाने चला वह सड़क पर बैठा बच्चा याद आ गया। क्षितिज कुछ सोचते हुए उठा और नीचे जाकर वह आइसक्रीम उस बच्चे को दे दी। वह बच्चा बहुत खुश हो गया। एक मौन संवाद ने कृतज्ञता व्यक्त कर दी और क्षितिज को आत्म संतोष का वह स्वाद मिला जो शायद आइसक्रीम खा कर ही नहीं मिलता।
पाठकों से दो शब्द
बच्चों में नैतिक मूल्यों और संस्कारों का, दूसरे के प्रति संवेदना का भाव अत्यंत महत्वपूर्ण है इस नई पौध की देखभाल एवं मार्गदर्शन हमें अत्यंत सावधानी पूर्वक करना चाहिए। उनके कोमल मन व मस्तिष्क पर जो भाव बचपन में बैठते हैं वहीं उनके आचरण में प्रतिलक्षित होते हैं। इस भावी पीढ़ी की नई पौध पर ही आने वाला भविष्य निर्भर करेगा। अत: प्रयास करें कि उनका प्रकृति, जीव जंतु के प्रति व्यवहार संवेदनात्मक रहे। अच्छा साहित्य दयालुता व परोपकार की भावना से भरी कहानियां उनके चरित्र का अच्छा विकास करती हैं।