मौत का मांझा
मौत का मांझा
देवजी भाई अपनी दुकान पर पतंग का मांझा घिस रहे थे। तभी घर से फोन आया।
पता चला पतंग के मांजे से उनके बेटे की गर्दन कट गई। जिससे घटनास्थल पर ही उसकी मृत्यु हो गई। यह सुनकर देव जी भाई अपना आपा खो बैठे और वहीं बेहोश हो गए। जब होश में आए तो अपने आपको बेटे की लाश के सामने पाया। उनकी आंखों से सहसा आंसू निकल गए। तब उन्हें एहसास हुआ कि कहीं ना कहीं वह भी जिम्मेदार है अपने बेटे की मृत्यु के... मन ही मन ऐसा सोच कर उन्होंने निश्चय कर लिया अब और नहीं मांझा घिसने का काम और नहीं करेगें।
