मैं कहानी नहीं

मैं कहानी नहीं

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"मैडम ने बुलाया है आपको" सुनकर सुकेत उठकर चल दिया पता नहीं क्या बात हो गयी । मैडम के चैम्बर में प्रवेश करते ही मैडम गुस्से से बोली "सुकेतजी आप नोट शीट पर इतना क्यों लिखते हो कहानी की तरह "। फिर हंस कर बोली "मेरे लिए तो जगह ही नहीं छोड़ते "। सुकेत को समझ में नही आ रहा था क्या प्रतिक्रिया दे। “खड़े क्यों है, बैठिये, आप भी ऑफिसर हैं”। फिर पूछने लगी "आपने साहित्य पढ़ा है या रूचि है "? सुकेत –“नहीं मैडम साहित्य मेरे लिए दूर की कौड़ी है मैं ठहरा इंजीनियर”। मैडम बोली "फिर आप लिखते तो ऐसे हैं एक लहर की तरह, एक से एक कड़ी जोड़ते हुए।आप कहानी क्यों नहीं लिखते । आप कल एक कहानी लिखकर लाइए अपने अनुभव से लेकिन थोडा उसमें अपनी कल्पना भी डालना।"

दूसरे दिन मैडम खुद सुकेत को बुलाने आई । कहानी देखते ही मैडम उछल कर बोली "सुकेत तुम ये कहाँ से लिखते हो हाथ से या दिल से “। फिर दोनों जोर से हंस पड़े । “बहुत अच्छा लिखते हो अपने ऑफिस के पी. आर. ओ. के कई पत्रकार जानकार हैं”। अगले सप्ताह सुकेत की कहानी मुख्य अखबार के रविवार विशेष संस्करण में थी।अब सुकेत का लंच मैडम के चैम्बर में ही होता था ।

“सुकेत जी तुम मेरे लिए कुछ लिखो फिर मैं लिखूं फिर आप”। “लेकिन मैडम मैं आपके बारे में कुछ नहीं जानता” । “जानने की भी आवश्यकता नही है । मेरे पति सरकार में प्रमुख शासन सचिव हैं उनके व्यक्तित्व के आगे मैं बहुत गौण हूँ । मेरे सामने तुम जूनियर हो । पता नही कब हम एक दुसरे को बराबर मानेंगे । सुकेत लिखोगे ना प्लीज”। “लेकिन मैडम ...”। “एक तो मुझे लंच के टाइम मधु बोला करिये”। सुकेत – “जी मै..... मधु” ।
फिर तो कई सपने बुने गये हवाओं में, दो रंगीन धागों से । एक दिन सुकेत ने मधु से पूछा क्या रिश्ता है आपका मेरा ।मधु- “हर रिश्ता प्रचलित नाम वाला रिश्ता हो जरुरी तो नहीं”।

मधु का स्थानांतरण दूसरे विभाग में हो गया। सुकेत कहानियाँ लिखने में व्यस्त हो गया और उसकी कहानियाँ बहुत सराही भी जाने लगी। मधु की भी मोबाइल पर प्रतिक्रिया आती रहती थी।

एक दिन सुकेत के पास मधु का मोबाइल पर सन्देश आया "सुकेत, क्या कर रहे हो? तुम्हारी कहानियों से मुझे अब डर लगने लगा है। क्या अंदर की सब बात लिख दोगे । क्या खाली हो जाओगे और मुझे भी खाली कर दोगे। क्या उस कच्चे धागों के रिश्ते पर लेखनी की कैंची चला दोगे । रुक जाओ सुकेत, तुम्हे अपने सपनों की कसम "।

सुकेत ने लिखना छोड़ दिया है और वापस निर्माण कार्य में व्यस्त हो गया है।


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