असली कलाम

असली कलाम

2 mins
14.4K


बैंक के अधिकारियों के तीन दिन के ट्रेनिंग प्रोग्राम के अंतिम दिन दोपहर पश्चात सत्र में मनोरंजन हेतु एक घंटे का एकल अभिनय का कार्यक्रम रखा गया था। कार्यक्रम के संयोजक ने एक जीन्स टी शर्ट पहने युवक का परिचय करवाते हुए कहा "आप हैं 'मि. नवीन' इस शहर के मशहूर नाट्य कर्मी ! आप कुछ ही क्षणों पश्चात एकल नाटक 'मैं बनूँगा कलाम' प्रस्तुत करेंगे। स्टेज के कोने में एक सहयोग पात्र रखा है । नाटक समाप्ति पश्चात आप सहयोग राशि उसमे डाल सकते हैं।"

कुछ ही देर में नवीन कई रंग के चिथड़ों से सिले फटे शर्ट और फ़टे पायजामे में स्टेज पर उपस्थित था। 
नवीन ने नाटक में एक गरीब होनहार बच्चे द्वारा पिता की मृत्यु पश्चात काम के साथ साथ पढ़ने के संघर्ष की कहानी का मंचन किया । दमदार प्रस्तुति से सभी अधिकारी भाव विह्वल हो उठे । 
नाटक समाप्ति उपरान्त कार्यक्रम के संयोजक ने सहायता पात्र में 100 रूपये की सहायता राशि डाल कर शुरुआत की जो एक तरह से सबके लिए मानक राशि बन गयी थी। अमूमन सभी इस राशि का नोट डाल रहे थे। लगभग दस हज़ार रूपये की राशि एकत्र कर नवीन गाडी से रवाना हो गया। रास्ते में उसके नाटक के पात्र जैसी ड्रेस पहने एक लड़का चौराहे पर बैंक के अधिकारियों की गाडियोँ के शीशे खुलवाकर कैंडी बेचने का प्रयास कर रहा था लेकिन उस के आग्रह पर कोई तरस नहीं खा रहा था। इसी प्रयास में गाड़ियों से कैंडी के पैकेट स्पर्श होने से बच्चा उलझ कर फुटपाथ पर गिर पड़ा।
नवीन ने बच्चे को उठाया और पूछा " कैंडी कैसे दी?"
"पांच की एक। तीन लोगे तो दस में दे दूंगा?"
"सारी कितने में दे सकते हो?"
"क्यों मज़ाक करते हो साहब। सच में लेंगे तो दो सौ में दे दूंगा।"
"ये ले 500 रूपये।"
"लेकिन साब मेरे पास..."
"रखले ..मैंने अभिनय में ही सही, तुझे कुछ समय के लिए जिया है। तेरी पीडा का अंश महसूस किया है। तुझे नाटक नहीं आता ना, इस दुनिया में असली कलाम को तो इतना ही मिलेगा।"


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract