Priyanka Gupta

Inspirational

4.0  

Priyanka Gupta

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मैं खाना खुद नहीं बनाती! Prompt 1

मैं खाना खुद नहीं बनाती! Prompt 1

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"अरे रीना, सुहानी को ट्यूशन कौन दे रहा है? ज़रा मुझे भी नंबर दे दो। सुहानी कितना कुछ सीख गयी है और मेरे आरव को तो मुश्किल से 10 तक की टेबल आयी है।" मैं ऑफिस जाने के लिए तैयार थी और कार निकालने के लिए पार्किंग में आयी ही थी कि सामने के फ्लैट में रहने वाली कामना ने पूछा। कामना भी ऑफिस जाने के लिए अपनी कार में बैठ ही रही थी।

"कल शनिवार है, ऑफिस की भी छुट्टी है, कल बात करते हैं। तुम घर आ जाना, साथ में कॉफ़ी भी हो जायेगी।" मैंने कामना से कहा। 

"ठीक है चलो कल मिलते हैं।" ऐसा कहकर कामना निकल गयी थी।

अगले दिन दरवाज़े की घण्टी बजी और मैंने दरवाज़ा खोला तो कामना बाहर खड़ी थी। 

"आओ, आओ अंदर आओ। "मैंने मुस्कुराते हुए कहा। 

"तुम बैठो, मैं अभी 5 मिनट में कॉफ़ी बनाकर लाती हूँ। सब कहते हैं, मैं अच्छी कॉफ़ी बनाती हूँ। ",मैंने कामना को सोफे पर आराम से बिठाते हुए कहा। 

"अरे, मैं भी तुम्हारे साथ ही चलती हूँ। वहीँ खड़े -खड़े बातें भी हो जायेगी। ",कामना ने कहा। 

"चलो, ठीक है। ",मैंने कहा। 

गैस पर दूध गर्म करने के लिए चढ़ाते हुए मैंने पूछा, "कल तुम कुछ ट्यूशन की बात कर रही थी। "

"हाँ यार, सुहानी के टीचर का नंबर दे दो। ",कामना ने कहा। 

"सुहानी के लिए कोई टीचर है ही नहीं। ", मैंने मग में कॉफ़ी डालते हुए ज़वाब दिया। 

"क्या यार ?नहीं बताना तो मत बताओ, झूठ क्यों बोल रही हो ?",कामना ने थोड़ा नाराज़ होते हुए कहा। 

"अरे नाराज़ मत हो। सही में कोई टीचर नहीं है। खैर शक्कर कितना लोगी ",मैंने शक्कर मिलाने से पहले पूछा। 

"आधी चमच्च। ",कामना ने नाराज़ होते हुए कहा। 

"मैं खुद ही पढ़ाती हूँ। ", मैंने कामना को कॉफ़ी पकड़ाते हुए कहा। 

"क्या ?",कामना ने कॉफ़ी का मग हाथ में लेते हुए चौंकते हुए कहा। चौंकने के कारण थोड़ी सी कॉफ़ी उसके हाथ पर छलछला कर गिर गयी थी। 

"अरे आराम से, हाथ जल जाएगा। ",मैंने कॉफ़ी की चुस्की लेते हुए कहा। 

"क्या सुपर वुमन हो ?ऑफिस से आने के बाद तुम्हें इतना वक़्त मिल जाता है। मुझे तो मरने तक की फुर्सत नहीं मिलती। ",कामना ने कॉफ़ी पीते हुए कहा। 

"हाँ यार, मैं ऑफिस से आने के बाद अपना ज़्यादा से ज्यादा वक़्त सुहानी के साथ बिताने की कोशिश करती हूँ। ",मैंने कॉफ़ी की चुस्की लेते हुए कहा। 

"यार, मैं भी आरव के साथ वक़्त बिताना चाहती हूँ, लेकिन डिनर की तैयारी करनी होती है तो बिता नहीं पाती। वैसे कॉफ़ी अच्छी बनाई है। "कामना ने कहा।

"चल तुम्हें भी मेरे हाथ की बनी हुई कॉफ़ी अच्छी लगी। वही तो, मैंने कुक लगा रखा है। मुझे अपनी बेटी को अपने हाथ से बना हुआ खाना खिलाने में उतना आनंद नहीं मिलता, जितना उसके साथ वक़्त बिताने में। ",मैंने कहा। 

"क्या बात कर रही है ?",कामना ने कहा। 

"हाँ यार, कई बार हम कामकाजी महिलाएँ बड़ी ग्लानि का अनुभव करती हैं कि हम अपने बच्चे को अपने हाथों से बना हुआ खाना नहीं खिला पा रहे। लेकिन अब मैं ऐसा नहीं सोचती। "मैंने कहा। 

कामना सोच रही थी कि जब वह घर पर होती है तो उसका ज्यादा से ज्यादा वक़्त किचेन में ही बीतता है। उसके पति और बच्चे केवल उसी के हाथ से बना हुआ खाना खाना चाहते हैं। कई बार तो उसका दिल करता है कि वह नौकरी छोड़ दे, घर पर आकर २ मिनट भी अपने बच्चे के साथ सुकून से नहीं बिता पाती। छुट्टी वाले दिन तो उसकी और बैंड बज जाती है। पहले ही हफ्ते भर के काम पेंडिंग होते हैं और ऊपर से बच्चे तथा पति की कुछ स्पेशल बनाने की फ़रमाइश। 

"क्या सोचने लग गयी ?",मैंने कामना से पूछा। 

"यही यार, फिर बच्चे ठीक से नहीं खायेंगे। ",कामना ने कहा। 

"नहीं, यही तो हम गलत सोचते हैं। प्रतिदिन मसालेदार और जीभ को अच्छा लगने वाला खाना खाने से स्वादिष्ट खाने का महत्व ही ख़त्म हो जाता है। उदाहरण के लिए अगर हमें रोज़ -रोज़ तीखा खाने को मिले तो फिर तीखे का स्वाद ही भूल जाते हैं। फिर मैं बच्चों को फल, सूखे मेवे, अंकुरित दालें आदि पौष्टिक चीज़ें स्नैक्स में और खाने के साथ देती हूँ। बच्चे धीरे -धीरे सब खाना सीख लेते हैं। ",मैंने कहा। 

"बात में तो तुम्हारे दम है। मैं भी अब से यही करने की कोशिश करूंगी। ",कामना ने कहा। 

"हाँ, इससे तुम अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिता सकती हो। धीरे -धीरे बदलाव लाओ। ",मैंने कहा। 

दोस्तों, अक्सर हम कामकाजी महिलायें किचेन का मोह त्याग नहीं पाती और घर पर आते ही अपना वक़्त परिवार को देने के बजाय किचन को देती हैं। अगर हम फल, सलाद, सूखे मेवे, अँकुरित दालों को अपने खाने में शामिल कर लें तो समय भी बचेगा और पौष्टिक खाना भी मिलेगा। इसके साथ ही अगर कम से कम एक समय का खाना कुक से बनवाएं तो अपने बच्चों को अपना ज्यादा समय दे सकते हैं। वैसे आप लोग इस समस्या के समाधान के लिए क्या करती हैं ?आपके सुझावों का इंतज़ार रहेगा।


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