मैं भारतीय
मैं भारतीय
मैं गांधी, एक महात्मा, एक देश भक्त, मैं एक गहरी सोच में, मेरे भारत देश में हुआ विकास..आधुनिकता के कारण..जीवन.का रूप ही बदल गया।आज दुनिया को देखता हुँ तो ऐसा लगता है जैसे जीवन आसान हो गया है। सबकूछ बोहोत ही सहजता से.सम्भब है! लेकिन ईसी.सहजता में ऐक असहजता भी मौजुद है।
हर जगह अस्थायीपन है, ऐक रोष है..ऐक आक्रौश है, ऐक होड़ सी मची है..ऐक दिखावटी मुखौटा..पैसा पानी हो रहा है..और पानी बिक रहा है बाजा़रो में, सब कुछ फास्ट.है, फास्ट फुड़,फास्ट ईन्टरनेट,फास्ट गाडियाँ, ईन्सटेन्ट भी, ईन्सटेन्ट रीचा्ज, .ईन्स्टेनट फुड..ईन्स्टैन्ट होम डिलिवरी..ईन्स्टैन्ट कैश,
लेकिन ये रिसन्ट ईन्स्टैन्ट, में कहींं हम खो रहे है, वो है समय.. समय का आभाव है ईसिलिए समय की बचत के लिऐ.यंत्र और उपकरण बनाऐ, फिर भी समय कहाँ है, भारत देश उन्नत है, और ईस देश की जनता, विकसित..लेकिन ठहरो थोडी़ साँस लो, .स्वय को ढुँडो..क्यूकिं ढूँढकर ही खोज़ होती है, यही सोचता हूँ यही खोजता हूँ..।
मैं भारतीय, मैं महात्मा,
