Bindiya rani Thakur

Fantasy

4.7  

Bindiya rani Thakur

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मैं और श्री

मैं और श्री

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रोजाना की तरह उठते ही मेरी समाचार सुनने की आदत है, यूँ तो आजकल खबरों को जिस तरह से नमक मिर्च मिलाकर तड़का लगाकर प्रस्तुत किया जाता है उससे मेरा मन ज्यादा देर तक न्यूज चैनल के सामने बैठ नहीं पाता है, फिर भी आदत से लाचार न्यूज सुने बिना मेरी सुबह ही नहीं होती, पत्नी भी मेरी इस आदत से परेशान ही रहती है, सो आदतन मैंने जैसे ही टीवी में न्यूज लगाया, खबर देख आँखों को एकाएक विश्वास नहीं हुआ, तुरंत ही चैनल बदल डाला, वहाँ भी वही बात, बार-बार वही खबर देख दिल भर आया, मैंने टीवी बंद कर दिया , पत्नी ने पानी का गिलास आगे बढ़ा दिया, एक ही सांस में गटक कर गिलास उसे पकड़ाकर मैं घर से बाहर निकल पड़ा, बेमक़सद सड़क नापने लगा अंत में थकान महसूस हुई तो एक पार्क का रूख किया।

पार्क में ज्यादा भीड़ नहीं थी, एक बेंच खाली पड़ी हुई थी वहीं चुपचाप बैठ गया, आँखें बार-बार भर आ रही हैं, काश ये खबर झूठ होती लेकिन सत्य तो सनातन और शाश्वत होता है किसी के मानने या ना मानने से उसे कुछ फर्क नहीं पड़ता और वह बदलता नहीं तो यह बात सच है कि 'वह' अब इस दुनिया में नहीं रही, वह जो दुनिया की नजरों में एक जाना माना नाम है 'श्रीदेवी' पर मेरे लिए तो वह केवल मेरी बेहतरीन दोस्त, और'श्री' है और मैं सुब्रमण्यम उसका 'सुब्बू'।

उसे मैं बचपन से जानता हूँ, उसके साथ मेरा बचपन बीता है घर पास-पास होने के कारण दोनों ही परिवारों का आपस में काफी आना-जाना था, वो बचपन से ही बहुत प्यारी थी, सभी उससे दोस्ती करना चाहते लेकिन उसे केवल मुझपर ही विश्वास था, हम तरह-तरह के खेल खेलते, गाँव के चक्कर लगाते और साथ साथ ही दिन बिताते, मेरे सारे राज़ वह जानती थी और उसके  सारे राज़ मैं छिपाकर रखा करता।

ये दोस्ती कब प्यार में बदली मैं नहीं जानता लेकिन मैं मन ही मन में उसे चाहता, वक्त की करवट बदलने से मेरे पिताजी का तबादला हो गया और हम बचपन के दोस्त बिछड़ गए। समय- समय पर उसकी खबर मिलती रहती। बाद में वह मशहूर हो गई, मैं भी घर चलाने के जद्दोजहद में लग गया। बाल-बच्चों वाला हो गया। उसकी भी शादी की खबर सुनी, उसके लिए खुश भी हुआ, उसकी सारी फिल्में देखता, एक नहीं कई-कई बार देखता।

लेकिन कभी उससे मिलने की कोशिश नहीं की, उसे हमेशा देख सकता था, तो मिलने के बाद न पहचाने जाने वाले अपमान को सोचकर ही कभी उससे मिलने की कोशिश नहीं की।, अगर उसने मुझे पहचाने से इंकार कर दिया तो मैं अपनी ही नजरों में गिर जाता।

पत्नी को बहुत चाहता हूँ लेकिन श्री तो मेरी बचपन की प्यार है, यह बात शोभना जानती है और उसने इस सच के साथ जीना सीख लिया है 

इतने बरस बीत गए और आज की ये खबर•••

भगवान श्री की आत्मा को शांति देना, कहते हुए स्वतः ही मेरे हाथ जुड़ गए।


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