मैं अब उस घर में नहीं जाऊँगी
मैं अब उस घर में नहीं जाऊँगी
"मैं अब उस घर में नहीं जाऊँगी" कहते हुए वह बर बस रोये जा रही थी।
मैं ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रही थी।मैं already late हो गयी थी।मैंने उसे कहा,"तुम आज काम कर लो कल हम इस बारे में बात करेंगे।" लेकिन मेरा मन मुझे बार बार धिक्कारने लगा।"वह तुम्हारे घर की कामवाली है तो क्या हुआ पहले वह एक औरत है और उसकी बात तुम्हे जरूर सुन लेनी चाहिए।" मैंने उसे पानी देते हुए कहा,"चलो,ये पानी पी लो और रोना बंद कर के बताओ की क्या हुआ?"
एक झटके में पानी का पूरा गिलास खाली कर उसने बोलना शुरू किया,"मैं दिन भर लोगों के घरों के काम करके सारे पैसे घर में देती हूँ और फिर भी वहाँ मेरी कोई कदर नहीं है।कल रात मेरे बेटे ने मुझे मारा।कल रात से मैं दरवाज़े के बाहर बैठी रही और मैं अब उस घर मे नहीं जाऊँगी।"
"उसके पापा के आने पर उनको बताना उसकी यह हरकत।वह डाँट देंगे उसे।" मेरे यह कहते ही वह और जोर से रोते हुए कहने लगी,"दीदी, घर में उस समय उसके पापा भी थे और सब लोग घर मे खाना खा रहे थे।"
"क्या?उसके पापा ने कुछ भी नहीं कहा उसे?" मेरी आवाज़ से हताशा साफ झलक रही थी। उसकी उन खाली आँखों ने मुझे मेरे सवाल का जवाब दे दिया।
अपने बालों को सुलझाते हुए मैं उससे कहने लगी,"कहाँ जाओगी तुम? तुम्हारी बड़ी होती 2 बेटियाँ है।उनके बारे में सोचा तुमने? तुम्हारे घर पर नहीं होने से उनका क्या होगा?" थोड़ी देर रुक कर वह चुपचाप झाड़ू लगाने लगी।
Being single मेरे घर में सारे कमरे अमूमन खाली रहते है लेकिन मैं फिर भी उसको कह ना सकी की मत जाना उस घर में।आज यही रह लो...
मुझे इस बात का अहसास हो गया कि कितनी सारी अलिखित बातें होती है हमारे आसपास में।हमारी बनायी गयी कुछ बातें,समाज की बेपरवाही या फिर class difference की ढेर सारी मजबूरियों की लम्बी लिस्ट ....
सब कुछ मुझे ऊपरी ऊपरी सा लग रहा था। बिलकुल बेमानी सा।मेरा बोलना,मेरी संवेदना और मेरे SOLUTIONS सबकुछ....