मासूमों के हत्यारे वीडियो गेम

मासूमों के हत्यारे वीडियो गेम

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"सिद्धार्थ अभी अभी स्कूल से लौटा था। मां ने आवाज लगाई बेटा, जल्दी से मुंह हाथ धो ले। मैं खाना लगाती हूं।"

मां को बिना उत्तर दिए सिद्धार्थ ,सीधे कमरे में चला गया और बहुत देर तक वापस नहीं आया। थोड़ी देर बाद माँ ने फिर से पुकारा तो उतरा हुआ चेहरा लेकर, खाने की टेबल में बैठ गया ।दो चार निवाले खाकर, वह अपने रूम में वापस आया,और दरवाजा लगा लिया,

अंदर से रोने की आवाज आ रही थी,तो माँ ने दरवाजा खटखटाया ।"सिद्धार्थ बेटा !दरवाजा खोलो !"...मगर आवाज धीरे- धीरे बंद होने लगी।

सिद्धार्थ की मां का जी घबरा गया उसने जोर-जोर से दरवाजा पीटने शुरू किया।लहूलुहान सिद्धार्थ जैसे तैसे दरवाजे के पास आया, और दरवाजा खोला ।मां सिद्दार्थ को देखते ही अवाक रह गई। मासूम सा सिद्धार्थ चाकू से खुद के हाथ को गोद चुका था। दूसरे हाथ में मछली का निशान चाकू से गोद कर बनाया गया था ।बेहोश होते सिद्धार्थ को मां ने जैसे तैसे गोद में उठाया और बेतहाशा रोड में भागने लगी। ऑटो को रोका और अस्पताल पहुंचकर सिद्धार्थ को एडमिट कराया। अपने पति को फोन करके बुलवा लिया ।


बहुत ज्यादा है खून बह जाने से सिद्धार्थ की स्थिति बहुत गंभीर हो चुकी थी। उसका इलाज जारी था ।यहां सिद्धार्थ के मां -पिता को कुछ नहीं मालूम कि क्या हुआ? वे दोनों अपनी अपनी जिम्मेदारियों में अति व्यस्त थे ।डॉक्टर ने आकर बताया कि सिद्धार्थ अब खतरे से बाहर है ।


जब सिद्धार्थ होश में आया तो वह सामान्य स्थिति में नहीं था। लगातार मां से उसका फोन मांग रहा था। मगर डॉक्टर ने उसे आराम करने की सलाह दी थी ,पर वह पूरे समय मोबाइल की जिद करता रहा।हार कर मां ने उसे मोबाइल दे दिया। थके होने के कारण मां की नींद आ गई ।


इतनी देर में बाहर बहुत तेज "धड़ाम""आवाज आई। जैसे कुछ सामान गिरा हो। सिद्धार्थ की मां आवाज की दिशा में दौड़ कर जैसे ही बालकनी तरफ आई ।नीचे देखा ,सिद्धार्थ तीसरी मंजिल से नीचे कूद गया था और उसका शरीर निढाल पड़ा था ।


मां वहीं पर बैठ गई,फिर संभली,और दौड़ कर मोबाइल पर देखा तो ब्लू व्हेल वीडियो गेम चल रहा था ।

आनन-फानन में पुलिस आई। शरीर का पोस्टमार्टम किया गया और सिद्धार्थ का मृत शरीर मां पिता को सौंप दिया गया। दुख में डूबे हुए माता पिता पुलिस के पास पहुंचे। और मोबाइल दिखाते हुए कहा की ब्लू व्हेल की वीडियो गेम में ऐसा क्या था कि हमारा बेटा हमको छोड़कर चला गया।

पुलिस वाले ने समझाया कि एक आपका नहीं , पूरी दुनिया में वीडियो गेम का आतंक चल रहा है ।कई मासूम बच्चों की जिंदगी इस गेम ने छीन ली है। इसमें कई चैलेंजेस आते हैं,और मानसिक दबाव बनाया जाता है कि बच्चा अपनी जान तक लेने से नहीं चूकता ।ब्लू व्हेल के अलावा "पबजी" वीडियो गेम भी अब तक कई जानें" ले चुका है।

इन गेम्स में बच्चों को कई स्तर पर गुजर ना होता है ।कई तरीके के दबाव से होते हुए बच्चे अगले सोपान में पहुंचते हैं ।

मगर हर एक स्तर उनको उनकी खुशगवार जिंदगी से कोसों दूर ले जाता है ।

पब्जी के कारण ही अभी हाल ही में सोलह से सत्रह साल के कई बच्चों की मौत हो चुकी है।


यह हमारी नई पीढ़ी मनोरंजन के लिए घर से बाहर नहीं जाना चाहती। खेलना ,कूदना झूलना ,पसीना बहाना ,यह सब नहीं करती ।इन्हें मोबाइल पर वक्त बिताना मनोरंजन का सबसे आसान रास्ता लगता है, मगर यही रास्ता उन्हें कई बीमारियों से ग्रस्त कर दे रहा है ।कम उम्र में ही परिपक्वता आ जाने से बचपना खत्म हो चुका है ।निराशा, अवसाद ,हृदय रोग से ग्रस्त रहने लगे हैं,आज के युवा ,

हमें बहुत गंभीरता से इस मायावी दुनिया से बच्चों को व्यवहारिक दुनिया में लाना होगा। खेलने कूदने की रुचि पैदा करना होगा।

नए-नए रुचिकर खेल रचने होंगे। नए-नए पुरस्कार प्रदान करने होंगे। उन्हें खेलने के लिए उकसाना होगा ।उन्हें प्रोत्साहित करना होगा कि वह ज्यादा से ज्यादा शारीरिक खेलों में ध्यान दें ,नहीं तो जैसा, आज आपने सिद्धार्थ को खोया है, कई मां बाप बच्चों को खो देंगे।

सिद्धार्थ के पिता ने अगले दिन से ही मुहिम चला दी अपने आस पड़ोस के बच्चों को खेलने के लिए नए- नए तरीके से आमंत्रित करते ड्राइंग की कांपटीशन रखते।

नए-नए भोज्य पदार्थों से सजे हुए स्टालों के द्वारा खेल के लिए उकसाते ।

आज भी वे अपनी नौकरी के साथ-साथ बड़े स्तर पर जागरूकता फैला रहे हैं कि, यदि आज ध्यान ना दिया तो आने वाला कल बहुत गंभीर परिणाम लेकर आएगा। इस तरह के वीडियो गेम पर सरकार बहुत गंभीरता से पाबंदी लगाने पर विचार कर रही है ताकि और कोई मासूम की मौत इस हत्यारे वीडियो गेम से ना हो सके।


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