सौगात
सौगात
आज सुबह से बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। नेहा सोचने लगी कि अगर और एक घंटे बारिश नहीं रुकी तो वह भीगते हए ही बाज़ार चली जाएगी साड़ियों के लिए फ़ाल खरीदने, नहीं तो अग्रवाल मैडम अपनी साड़ियाँ किसी और को दे देंगीं। नहींं, वह आज ही सारी साड़ियों में फ़ाल लगा देगी। बाज़ार से आते ही उसने काम निपटाया और साड़ियाँ जमा करके अपना मेहनताना लेकर दुकान से बाहर आई। बाहर हल्की हल्की धूप निकल चुकी थी। आते ही देखा तो 1:30 बज चुके थे, बच्चोंं के स्कूल से आने का समय हो चुका था। उसने जल्दी-जल्दी सब्जी बघारी और चावल का कूकर गैस पर चढ़ाया, आटा गूंथ ही रही थी कि बच्चे घर आ गए और मम्मी-मम्मी चिल्लाने लगे। नेहा ने जल्दी ही गरम गरम रोटी सेकी, बच्चों को खाना खिलाया और तैयार करके ट्यूशन छोड़ने गई।
लौटते समय उसको अपनी पुरानी सहेली महिमा दिखी, वह टमाटर खरीद रही थी। नेहा उसके करीब जाकर खड़ी हो गई, महिमा पलटी तो वह नेहा को देखकर चौंक गई। नेहा ने कहा "तू कैसी है?" उसने कोई उत्तर नहींं दिया और हल्के से मुस्कुरा दी। नेहा को बड़ा अजीब लगा, बात बदलते हुए नेहा ने कहा "चल ना मेरे घर, एक-एक कप चाय पिएंगे।" महिमा तैयार हो गई और दोनों नेहा के घर आ गए, जो पास ही था। नेहा ने कहा "बच्चों की ट्यूशन खत्म होने में अभी समय है, चल तब तक दोनों चाय पीते हुए गपशप मारेंगे।" ऐसा कहकर नेहा चाय बनाने चली गई। महिमा उसके घर को देखने लगी, सादा पर करीने से जमाया हुआ। घर साफ-सुथरा, बहुत ही शांति मिल रही थी महिमा को वहां। नेहा चाय लेकर पहुंची तो महिमा ने कहा "कितना प्यारा है तेरा घर, कैसे संभालती है तू इसे? मुझे भी कुछ टिप्स दे, मैं बड़ी परेशान हूं।" नेहा ने कहा "बड़ी मेहनत से संभाला है, फॉल पिको का काम करती हूं, थोड़े कम पैसे हैं। हां, पर सुकून बहुत है। और तू सुना तेरे क्या हाल-चाल हैं? तेरी शादी तो बहुत रईस परिवार मे हुई है, तू तो राज कर रही होगी!" महिमा ने कहा "नहींं ऐसी कोई बात नहींं है।"
शादी के समय बड़ा घर था, बिजनेस भी अच्छा था पर अब बंटवारा हो चुका है। मेरे पति को बिजनेस में बहुत घाटा हुआ, मेरे पति उदास रहते हैं। मैं समझ नहीं पा रही हूँ क्या करू?" नेहा ने कहा "तू तो एमकॉम है, अपने पति के बिजनेस में हाथ बंटा।" मगर महिमा ने कहा "मेरे पति मुझे बाहर तक नहीं जाने देते, वह मुझे बिजनेस में नहींं आने देंगे। वह बहुत ही रूढ़ीवादी हैं, घाटे की वजह से हर वक्त उदास रहते हैं। मुझसे और बच्चों से बात तक नहींं करते।" नेहा ने पूछा "तेरा किसका बिजनेस है?" उसने कहा "हमारा बेकरी का बिजनेस है" तो नेहा ने कहा कि तू अपने घर से ही बिजनेस चला, अपने सर्कल के लोगों को, अपनी सहेलियों को बेकरी आइटम की घर पहुंच सेवा दे। इससे तेरे पति को कोई परेशानी नहींं होगी। महिमा ने कहा "कोशिश करती हूँ शायद मान जाएँ।
लेकिन एक बात और पूछनी है मेरा घर तेरे जैसे क्यों नहींं रहता? मैं हर समय कामों में भरी हुई परेशान रहती हूं और बच्चे भी कहना नहींं मानते। नेहा ने कहा "इसमें किसी की कोई गलती नहींं, बच्चे वही करते हैं जो बड़ों को करते हुए देखते हैं। तुम्हारे घर में अभी अशांति फैली हुई है, यह सब उसी का ही परिणाम है। शुरुआत तुझे ही करनी होगी तू अपनी अव्यवस्था को व्यवस्था में बदल और अपनी चिंता को चिंतन में, तू सोच कि तू किस तरह से अपने पति, बच्चे और अपने घर की मदद कर सकती है। मैं तुझे कुछ सुझाव दे रही हूं।"
सबसे पहले सुबह उठकर तू एक घंटा खुद को दे, इस पूरे 1 घंटे में अपने शरीर की सेहत के लिए कुछ एक्सरसाइज, योगा, प्राणायाम और ध्यान कर। अगर तू तंदुरुस्त रहेगी, तभी तो अपने घर की देखरेख अच्छे से कर सकेगी। दूसरा, पूरा काम अपने हाथ में ना लेकर थोड़ा बहुत पति और बच्चों का सहयोग भी ले। उन्हें जिम्मेदारी समझ में आएगी, तभी वे घर साफ रखने में तेरी मदद करेंगे। अपनी योग्यता को यूं ही मत जाने दे, अपने पति से विनम्रता से इस बारे में बात कर कि मैं घर में ही रहकर आपके बिजनेस में कुछ सहयोग कर सकती हूँ। इसमें अपने बच्चों के ग्रुप में, तेरे सहेलियों के ग्रुप में और तेरे मोहल्ले में सारे लोगों को व्हाट्सएप के माध्यम से बेकरी के मटेरियल की शुद्धता, विश्वसनीयता और कीमत की जानकारी दे। घर पहुंच सेवा मुफ्त उपलब्ध करा।
महिमा ने धन्यवाद कहते हुए कहा "अच्छा हुआ मैं आज तुझसे मिली, शायद इस तरह से मैं अपने लड़खड़ाते हुए परिवार को संभाल सकूं और साथ ही नेहा से बोला की प्लीज तू भी मेरे बिजनेस में मेरे साथ दे। तभी मैं यह कोशिश कर पाऊंगी" नेहा ने हामी भरी।
महिमा ने अपने पति से इस बारे में बात की। उसके पति को कोई एतराज नहींं था अगर वह घर में ही रहकर कुछ करे तो और उन्होंने दुकान से कुछ माल घर में भिजवा दिया। महिमा ने फोन करके नेहा को घर बुलवाया, दोनों सहेलियों ने सारे सामानों की लिस्ट बना कर उसके दाम तय कीये और व्हाट्सएप के ग्रुप में उन सामानों और उसकी कीमत को शेयर किया और अपना एड्रेस भी दिया। 2 दिनों में ही काफी रिस्पांस मिला समय के अनुसार बिक्री बढ़ने लगी, मुनाफा भी होने लगा। महिमा ने नेहा को इस काम में 30% का हकदार बनाया और दोनों ने मिलकर घर के सामने ही बेकरी स्टोर खोल लिया।
नेहा ने महिमा से कहा "अब हम कुछ लोन बैंक से लेकर महिला गृह उद्योग खोलेंगे और उन्होंने कच्चा माल मंगवाया। घर में ही महिला श्रमिकों को बुलाकर बेकरी का सामान बनवाने लगे और ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए उन्होंने इसकी कीमत भी कुछ कम ही रखी। देखते ही देखते वह दोनों महिमा के पति से भी ज्यादा अच्छा व्यवसाय करने लगी। महिमा का पति भी उन लोगों के इस बिजनेस स्किल से प्रभावित हुआ और वह भी इस बिजनेस में जुड़ गया और उसने स्वीकार किया कि महिलाएं ज्यादा अच्छी मैनेजर होती हैं। ऐसा नहींं है कि केवल वह घर ही संभाल पाती हैं, बल्कि उतना ही अच्छा व्यवसाय भी संभाल पाती हैं।
हर क्षेत्र में उनका मैनेजमेंट बहुत बढ़िया होता है।
नेहा ने महिमा के पति से कहा "भाई साहब हम महिलाओं की मैनेजमेंट की तारीफ तो हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी की है। हम पर आप विश्वास करके तो देखिए, हम महिलाएं कमजोरी नहींं ताकत हैं अपने परिवार की। हम जिम्मेदारी नहींं हैं किसी की, बल्कि हममें क्षमता है जिम्मेदारी उठाने की।हमारे देश की जनसंख्या में 50% महिलाएं हैं जो कि किसी न किसी वजह से घर में ही कैद हैं, साथ में कैद है उनकी क्षमता, उनकी आकांक्षा और उनकी उड़ान।
महिमा के पति ने भी अपनी गलती मानी और महिमा से माफी मांगते हुए उसे भरोसा दिलाया कि वह अपनी बेटी को ऊंची उड़ान भरने देंगे, उसके सपनों में रंग भरने देंगे ताकि वह भी अपने पैरों पर खड़ी हो के अपने अस्तित्व को एक स्वतंत्र पहचान भी दे सके।
अब नेहा भी पहले से कहीं अधिक आर्थिक सुदृढ़ हो गई थी। नेहा की साझेदारी और संबल से महिमा ने भी अपने खाते मे काफी धन जोड़ लिया था, अब उसकी बेटी को भविष्य में केवल पिता की ओर से ही सम्पत्ति नहींं मिलेगी, माँ की ओर से भी मिलेगी। पर केवल सम्पत्ति ही नहींं, सौगात भी। सौगात उन अवसरों की जिसे पाने के लिये उसे कोई लड़ाई नहीं लड़नी पड़ेगी। जैसी महिमा को लड़नी पड़ी।
