मास्टरनी जी
मास्टरनी जी
कौन सा कमरा ठीक रहेगा ? लंबा चाहिए थोड़ा, दरी बिछ जाए पूरी फैला कर। बीस लोग बैठ जाएं। रजनी का उत्साह देखने लायक था। प्रौढ़ शिक्षा केंद्र की मास्टरनी जी बन गई थी। सभी विद्यार्थियों को न्यौता दे दिया था। चाचा शाम सात बजे, और बुआ को भी लेते आना। अरे बेटा बुआ खाना बनायेगी, तेरी चाची मायके गई है, कुंती बाद में पढ़ाई कर लेगी, चाची आ जाए तुम्हारी । ठीक आप आ जाना, स्लेट /खड़िया वहीं मिलेगी।
मां ने दही शक्कर खिला कर भेजा, सुन बेटा ज्यादा डांटना मत, सब बड़े है तुमसे, प्यार से बताना। मां, कुछ तो डांटना बनता है, टीचर हूं आखिर। अच्छा अच्छा ठीक है मास्टरनी जी, जाओ अब, और सुनो सारा सामान समेट कर रख देना क्लास के बाद। जी मां।
तो आज हम लोग सीखेंगे कखग, क से कबूतर एक डंडा सीधा और फिर ऐसे, दादा खैनी न खाओ । ध्यान दो। नहीं बिटिया नहीं खा रहे। बताओ आगे हम सुन रहे हैं।
मम्मी आज बारह लोग आए थे। ठीक से बात की सब से? अरे हां मां ब
हुत अच्छे से बताया। खाना दे दो, भूख लगी है। हाथ धो के बैठ देती हूं।
मोहन भैया आप सुनाओ कख पूरा। मोहन:कख --- क्ष त्र ज्ञा
बहुत बढ़िया सब लोग ताली बजाओ। ताली बजा कर सब ने दाद दी। सभी को ऐसे ही याद करना है। रजनी और उत्साह से पढ़ाने लगी।
आज चुप चुप क्यों हो बेटा। आज दो ही लोग आए,रोते हुए रजनी बोली। अरे बेटा फसल का टाइम है, सब खेतों में काम कर रहे होंगे, थके होंगे । मां मैं ठीक से पढ़ाती हूं ना? अरे बेटा सब लोग तुम्हारी तारीफ़ करते हैं। चल हाथ मुंह धो कर आ, खाना लगाती हूं। जी मां।
बहुत काम कर रही हो आज मां ने पूछा। अरे मां कल इंस्पेक्टर साहब आएंगे प्रौढ़ शिक्षा केंद्र देखने। टेस्ट भी लेंगे सबका। पता नहीं क्या होगा, डर लग रहा है। अरे पगली सब ठीक होगा, बिल्कुल पागल हो ।
बहुत कूद रही हो ? मां सब पास हो गए, एक को छोड़ कर । इंस्पेक्टर साहब ने मेरी बहुत तारीफ की। अब बन गई तू मास्टरनी जी। मां ने दुलार कर सिर पर हाथ फेरा।