मानो या न मानो
मानो या न मानो
जब से चुनावों की घोषणा हुई है वे बेचारे बड़े परेशान हैं, 'बेचारे' इसलिए क्योंकि बीस साल सांसद रहते हुए उन्होंने अपने क्षेत्र का विकास नहीं किया ।हमेशा अपने और अपने बाल बच्चों के विकास पर ध्यान देते रहे।वे अपने क्षेत्र को पिछड़ा क्षेत्र बना रहने पर विश्वास करते थे। रिजर्वेशन के चक्कर में एक दो बार मंत्री बने तो खूब माल सूंटा। इस बार मंत्री बने तो लड़की को धनवान बनाने के चक्कर में उसके एनजीओ को करोड़ों के काम देने की फाइल चलवा दी। उसी दौरान न खाऊंगा न खाने दूंगा का नारा मीडिया ने जोरदार तरीके से ऐसा उछाला कि वे बेचारे क्लीन बोल्ड हो गए और बेचारों के बेचारे बन गए। चुनाव में टिकट मिलेगी कि नहीं इसी चिंता में परेशान रहने लगे।
उन्होंने सुबह-सुबह अखबार में अपने भविष्यफल पर नजर फेरी, लिखा था कि आज पांच गरीबों को भोजन कराने से बड़ा काम बनने के साथ टिकट भी मिलेगी और यश की भी प्राप्ति होगी। वे चौकन्ने हो गये मन ही मन बुदबुदाये ,दिल्ली की बात ये ज्योतिषियों को कैसे पता लग गई। अभी तो किसी के मार्फत सिर्फ बात चल रही थी। भविष्यफल में आगे लिखा था भोजन कराने के कुछ घंटे बाद शुभ मुहूर्त पैदा हो जाएंगे। उन्होंने तुरंत सफेद कुर्ता उतारा और मूंछ में ताव देकर नंग-धुंड़गं बाथरूम में घुस गए। नहाकर निकल ही रहे थे कि बाहर हाथी की आवाज आयी,....... दरवाजा खोला तो एक नागा बाबा हाथी की घंटी बजा रहे थे। हाथी में बैठने का उन्हें बड़ा शौक था पर बड़े भैया हमेशा डरा देते थे। हाथी और बाबा देखकर उन्हें फिर सुबह के अखबार का भविष्यफल याद आ गया, तुरंत बाबा से पूछा - "कितने आदमी हैं हाथी के साथ" ?
नागा बाबा ने बताया हमारे साथ पांच मूर्तियां हैं, इलाहाबाद गंगा नहाने जा रहे हैं, आपकी कुछ श्रध्दा हो कुछ पुण्य कमा लीजिए। उन्होंने बाबा से फिर पूछा कि बाबा आपने शादी-ब्याह करके घर क्यों नहीं बसाया ? तब बाबा ने बताया कि कई मिलीं पर सब स्वार्थी, मुंह चलाने वाली, दोष मढ़ने वाली.......... अब तो ऐसा है कभी कोई मिल गई तो दिल से आशीर्वाद दे देते हैं। माया ठगनी होती है, इसके चक्कर में नहीं पड़ते। अच्छा बाबा ये बताओ कि जब आपका हाथी भगवान को प्यारा हो जाएगा तो उसकी याद में कोई मूर्ति - उर्ति बनवाओगे ? बाबा बड़े समझदार थे कहने लगे हाथी मरने की सूचना देने पर हमारे पंथ वाली साध्वी के पास इसका ठेका है उनकी ईच्छा वे बनवाएं या न बनवाऐंं। कई बार मूर्तियां घाटा करा देतीं हैं रिकवरी करा देतीं हैं।
उन्होंने पांचों मूर्तियों के लिए सुंदर स्वादिष्ट भोजन बनवाया। हाथी की पूजा की, पूजा में अक्षत टीका और कमल का फूल चढ़ाया फिर पांचों मूर्तियों को भोजन कराके दान - दक्षिणा दी। बड़े बाबा ने प्रसन्न होकर कमल का ताजा फूल दिया और आशीर्वाद वचन में कहा - जा बेटा तेरे सब काम जल्दी बनेंगे जो तुमने मन में सोचा है।
जाते-जाते हाथी के लिए बिहार का चारा और एमपी का गुड़ साथ रख दिया गया। वे गिल्ल हो गये उन्होंने राजनीति में खूब पांसे फेंके थे पर बड़े भैया ने उन्हें भगा दिया था तब से उनका ज्यादा ही लिहाज करते हैं।
जब हाथी और पांचों मूर्तियां संतुष्ट होकर बिदा होने लगीं, तभी कबाड़ी की आवाज आई उन्होंने सोचा बहुत दिनों से ये पंचर साईकिल से परेशान हैं, क्यूं न इसे कबाड़ी के हवाले कर दिया जाए, सो तुरत-फुरत पंचर साइकिल का सौदा किया और कबाड़ी को देकर साईकिल से मुक्त हो गए।घरवाली ने आकर पहली बार बधाई दी, बड़े भैया नाराज हो गए तो क्या हुआ, अपना हाथ जगन्नाथ , नहीं तो हाथी में बैठकर बाबा बन जाना।
शाम का अखबार आ गया था, सम्पादकीय में लिखा था " इन्होंने लेनिन की मूर्ति में बुलडोजर से काम लिया था।.....अगला समाचार था दक्षिण भारत के चुनाव में कार्यकर्ताओं के लिए बैटरी वाली साइकिलें खरीदी जाएंगी, अभी हाल पता चला है कि सरकारी पैसे से मूर्तियां बनवाने वालों से रिकवरी की जाएगी।
उन्होंने शाम के अखबार में भविष्यफल खोजने की कोशिश की ही थी कि अचानक मोबाइल घनघनाने लगा...... उधर से आवाज आ रही थी कि दलबदल करके हमारी पार्टी से टिकट ले लो क्योंकि इस बार तुम्हारी पार्टी ने तुम्हारा नाम काट दिया है इस बार तुम्हारे खास चमचे को टिकट दे दी गई है।