मां तुझे सलाम।
मां तुझे सलाम।
गनु एक किसान था। उसके पिताजी का देहांत हो चुका था। विधवा मां साथ में रहती थी। उसका एक छोटा भाई कनु था। जो कि शहर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। गनु के अपने सपने थे। और कनु अधिक पढ़ा लिखा होने के कारण हर बात को अपने ढ़ंग से सोचता था। गनु धरती को भारत मां कहता था। और उसकी पूजा करता था। वो सुबह उठते ही पहले धरती मां को प्रणाम करता था। फिर उस पे पांव रखता था। अब कनु इंजीनियरिंग करके गांव लौट आया है। परंतु वो खेती बाड़ी करने को तैयार नहीं है। गनु उसको बहुत समझाता है। कि मैं अनपढ़ देहाती, लेकिन मेहनत कश। तू ठहरा पढ़ा लिखा। जब हम दोनों मिलकर काम करेंगे तो ये भारत मां सोना उगलेगी। फिर हमारे ठाठ-बाट देखना, हम मोटर गाड़ी खरीदेंगे और हम एक ट्रैक्टर भी खरीदेंगे। बेचारे बैलों से अब खेती का काम नहीं लूंगा। आज तक इन्होंने हमें पाला है अब मैं इनकी सेवा करूंगा। देखना तू नक्शा बदल देंगे। लेकिन कनु पढ़ा लिखा था , परंतु साथ में चतुर भी था। वो बोलता है वो यहां एक फैक्टरी लगाएगा, माल बनाकर शहर में बेचेगा और करोड़ों रूपया कमाएगा। मां और भैया आपको भी फिर काम करने का जरूरत नहीं रहेगी। तो गनु थोड़ी देर असमंजस की स्थिति में रहता है। फिर बोलता है लेकिन यार कनु उसके लिए पैसा कहां से आएगा, वो तो बहुत पैसे वाला मामला हो जाएगा।
भैया मैं तो एक छोटा-मोटा किसान हूं। धरती मां की सेवा करता हूं। तब जाकर कहीं चार पैसे देखता हूं। और अपनी सबकी गुजर-बसर करता हूं। भैया गनु मैंने सोचा है कि जमीन बेच देंगे और जो पैसा मिलेगा उससे फैक्टरी लगाएंगे। गनु को पारा सातवें आसमान पे चढ़ जाता है और वो बोलता है। अरे तू बेवकूफ तुझे इस दिन के लिए पढ़ाया लिखाया था मैं और मां पाई पाई जोड़कर तेरा खर्चा उठाते रहे मुझे क्या पता तू भारत मां को भी बेचने का सोचेगा। जरूर मेरी कमाई मेहनत और मुशकत की नहीं होगी। कनु तू कान खोल के सुन ले, मैं जीते जी अपनी भारत मां को तूझे नहीं बेचने दूंगा। तू कोई और रास्ता देख भारत मां का मोल कोई नहीं दे सकता वो अमुलय है। अब कनु ठहरा पढ़ा लिखा। वो बोलता है, भैया अगर आप जमीं नहीं बेचोगे। तो मैं अपना हिस्सा लूंगा और उसे बेच दूंगा। ये सुनकर गनु को गहरा धक्का लगता है। और वो सारी रात सो नहीं पाता। बस सोचता रहता है। आखिर वो कनु को बोलता है, देख मैं सारी की सारी जमीन तेरे नाम कर देता हूं। परंतु एक शर्त तू इसे बेचेगा नहीं बेशक तू मुझे कुछ मत दे, अरे दुनिया हम पे हंसेगी बोलेगी देखो ये दोनों इतने नालायक हैं कि भारत मां को बेच दिया। ले मैंने सारी जमीं तेरे नाम की। लेकिन इसको कभी भी तू बेचना मत। अपने बड़े भाई का जमीं के प्रति प्यार देख कनु को अक्ल आ जाती है। और वो फैक्टरी लगाने का विचार छोड़कर अपने बड़े भाई के साथ भारत माता की सेवा में डट जाता है।