माँ के जीवन की संघर्ष की कहानी
माँ के जीवन की संघर्ष की कहानी
“माँ, आपके जीवन संघर्ष ने मुझे हमेशा अंदर से मज़बूत बनाया”
माँ के लिए कुछ भी लिख देना ऐसा ही है जैसे अलकनंदा को अंजलि में समेटने का साहस करना। अपनी भावनाओं की असंख्य कल्पों को अपने छोटे से ह्दय में समेट देना। यह एक असंभव सा काम है जो मैं एक पत्र में करने जा रहा हूं।
मुझे पता है यह पत्र हमेशा अधूरा ही रहेगा क्योंकि जिस प्रकार सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी का विस्तार अनंत और निरंतर है उसी प्रकार माँ की महिमा भी अनंत और निरंतर है। कोई शब्द सीमा कैसे मां को बखान कर सकती है।
वेदों में कहा भी गया है:
न मातुः परदैवतम् – मां से बढकर कोई देव नहीं।
गुरूणामेव सर्वेषां माता गुरूतरा स्मृता – सब गुरू में माता को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
माँ से ही जीवन मिला
जिसके गर्भ से जन्मनें का सपना स्वयं देवता देखें उससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है। माँ से ही जीवन मिला, माँ ने ही सिखाया कि जीवन क्या होता है और माँ ने ही सिखाया कि जीवन को कैसे जिया जाता है।
मैंने मेरी माँ से ज़िंदगी में 5 बातें सीखीं और इन्हीं पांच बातों का असर शायद मेरी ज़िंदगी पर हमेशा बना रहा। जिसके बूते मुझे बहुत कुछ अमूल्य मिला। मैं चाहता हूं कि इन्हीं बातों के लिए कुछ लिखकर आज उनका धन्यवाद करूं।
मुझे नहीं पता कि मैने मेरी जिंदगी में क्या खोया और क्या पाया, भगवान ने मुझे क्या सौंपा और मैने क्या लुटा दिया। मुझे तो सिर्फ यह पता है कि आज जो कुछ भी है या मेरा अस्तित्व भी है तो वह आपसे है।
मेरे बचपन से लेकर आजतक आपका एकसार उगना और ढलना, निरंतर, निर्बाध बहना मुझे उस प्रकृति की सौम्यता देता है जो मुझे इस बाहरी जगत से भी कभी ना मिलता।
आपका जीवन एक चरित्र गाथा है
जिसको जितना भी पढ़ूं और जीवन में अभ्यस्त करूं शायद कम ही होगा, क्योंकि आपका जीवन चरित्र गाथा है। मैं भले सफलता के किसी भी लक्ष्य तक पहुंच जाऊं लेकिन जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो उस तक पहुंचने वाली सीढ़ियां आप ही बनाती नज़र आती हो।
जब भी लीक से हटकर चलना चाहा मैंने सदा ही जीवन में नुकसान उठाया। तब मुझे हमेशा यह महसूस हुआ कि वह लीक जो आपके अनुभव और सहनषीलता की बुनियाद पर बनी है कभी गलत हो ही नही सकती।
मेरे अंदर उपस्थित सदाचार और सभी गुण आपकी परवरिश की बदौलत ही हैं। ऐसा कोई काम मेरी ज़िंदगी में मैंने नहीं किया जिसमें आपका श्रेय ना रहा हो। हालांकि यदि मैंने कभी कुछ गलत भी किया होगा तो उसका ज़िम्मेदार सिर्फ मैं ही रहा या फिर मेरा मानसिक तौर पर भ्रमित हो जाना रहा।
हर परिस्थिति में आपकी भगवान में आस्था ने सदैव मेरे अंदर भी आध्यात्म का एक दीपक सदैव ही जलाये रखा। सीमित संसाधनों में बेहतर जीवन जीने की कला आप ही ने सिखाई।
भीतर तक आत्मा को नीचोड़ देने वाली परिस्थितियों का आपने जिस तरह सामना किया वह सदैव मुझे यह सीखाता गया कि जीवन और मरण के बीच का यह संसार मुझे कैसे पार करना है।
माँ, मुझे नहीं पता कि मैं बदले में कुछ दे भी पाउंगा या नहीं लेकिन इतनी संतुष्टि ज़रूर है कि जब कोई मेरी तारीफ करता है तो मुझे लगता है कि मेरी नहीं मेरी माँ की तारीफ हो रही है।
मुझमें हमेशा विश्वास रखा और मेरे बुरे वक्त में मेरे साथ खड़ी रहीं
एक दौर में जब मैं खुद भी खुदपर विश्ववास खो बैठा था लेकिन आपने मुझमें अटूट विश्वास रखा। शायद यह विश्वास ही था जिसकी बदौलत मैं निंरतर बना रहा। कभी खुदसे संभलने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी।
मेरी हर एक कोशिश के पीछे अपने जज़्बातों को मेरे साथ बनाये रखा। मैं पास था या दूर कभी महसूस ही नहीं होने दिया कि मैं कभी अकेला भी था। मेरी परीक्षा में मेरे साथ जागी, मेरे सफलता में मेरी पीठ थपथपाई, मेरी असफलता में मुझे फिर एक शुरूआत के लिए तैयार किया ठीक वैसे ही जैसे कोई माँ अपने बच्चे को रोज़ स्कूल की ड्रेस पहनाती है।
एक तरफ पापा की डांट से बचाया तो दूसरी तरफ मुझे मेरी गलतियों का बखूबी एहसास करवाया
मुझे पता है, औलाद चाहे लाख बुरी हो लेकिन माँ का दिल हमेशा एक मजबूरी तले दबा रहता है कि वो अपनी औलाद को दुःखी नहीं देख सकती।
बहरहाल मैने मेरी ज़िंदगी में लाख गलतियां की होंगी लेकिन आपने मुझे एक माँ की भांति हर तरह की डांट से सिर्फ बचाया। बल्कि एक मार्गदर्शक की तरह बाद में यह भी समझाया कि मेरी गलती क्या थी और कितनी बड़ी थी, मेरी जिंदगी में उसके कारण क्या मुसीबतें आ सकती थीं।
खुद पर काबू रखकर आगे बढ़ना सिखाया
जीवन के हर दौर में मैंने आपको एक जैसा ही पाया, विषम शारीरिक परिस्थितियां हों या फिर मानसिक पीड़ा हमेशा खुदको उस संकट से उबारकर आगे बढ़ना सिखाया। उम्र के हर पड़ाव पर खुदके पैरों पर चलना सिखाया।
मुझे इस दुनिया की भौतिकता से हमेशा दूर रहना सिखाया और बताया कि मेहनत से कमाया और हक का खाया कभी नुकसान नहीं करता। कभी दूसरों पर निर्भर नहीं रहना है यह भी बताया। जीवन का हर वह हुनर मैंने आपसे सीखा जो किसी स्कूल या काॅलेज में नहीं सिखाया जा सकता।
पिता, बहन, भाई और दोस्त जैसा हर रिश्ता निभाया
एक इंसान में ही मैंने वो सारे रिश्ते जीये जो किसी की जिंदगी में होते हैं। कभी माँ बनकर स्नेह किया तो कभी पिता बनकर मुझे रास्ता दिखाया, कभी एक बहन की तरह मुझे डांट-डपट लगायी तो कभी एक भाई की तरह सहारा दिया। एक दोस्त की तरह हर समस्या को सुना और बताया की मेरे लिए क्या सही या और गलत। हर रिश्ता पूरी ईमानदारी से निभाया।
मुझे नहीं पता कि इन सबके बदले में मैं आपको कभी कुछ दे भी पाउंगा या नहीं लेकिन भगवान से यही मांगता हूं कि चाहे मेरे उपर आपका कितना भी कर्ज हो जाये मुझे हर जनम में आप ही माँ के रूप में मिलें। पता नहीं ऐसा मौका शायद कभी मिलता भी या नहीं कि मैं यह सारी बातें लिख पाता लेकिन मुझे खुशी है कि मैंने लिख दी।
उम्मीद करता हूं कि मैं आपकी हर एक इच्छा और इरादे को पूरा कर पाऊं। मैं ज़िंदगी में कभी वह काम न करूं जिससे की आपको दुःख हो। आपकी सेवा में ही मेरी ज़िंदगी खप जाए ऐसा भगवान से सामर्थ्य मांगता हूं।
मेरी ज़िंदगी को बेहतर ज़िंदगी बनाने के लिए सदा आपका कर्ज़दार रहूंगा।
मेरे लिए आप दुनिया की सर्वश्रेष माँ।