माँ का कांग्रेस प्यार
माँ का कांग्रेस प्यार
माँ को पता था आज वोट डालने का दिन है। सुबह ही भाभी और भाई की सहायता से तैयार हो गईं और भाई को ले जाने के लिए बाध्य करने लगीं।
जाना तो सबको था पर माँ को बड़ी जल्दी थी। अस्सी वर्ष की हैं उस समय चलने फिरने बोलने और समझने में दिक्कत आती थी। खैर भाई बड़ी ही कठिनाई से माँ को बाइक पर पीछे बिठाकर चुन्नी से बाँधकर ले गया।
वहाँ रौनक थी सब कतार में लगे थे। माँ को भी नीचे उतारा गया। माँ भाई से बाँह छुड़ाकर वहाँ खड़े कर्मचारी से पूछने लगीं कांग्रेस (कित्थे है) यानी कहाँ है। उन्होंने कहा अंदर।
तब तक भाई से कोई सरोकार नहीं था चला नहीं जा रहा था पर...। भाई दौड़ता हुआ आया माँ को अंदर वोटिंग के लिए ले गया। ई वी एम मशीन देखकर बोलीं कांग्रेस कहाँ है।
बताया यहाँ है। वोट दिया फिर बाहर आकर पूछने लगीं कि कांगेस को ही डाला ना। मेरा भाई कहने लगा बहन जी वहाँ तो माता जी मुझे पहचान ही नहीं रही थीं कारण घर में हम भाजपा को देंगे बात माता जी ने सुन ली थी।
पर वे तो कांग्रेस की दीवानी। इस बार वोट नहीं डाल पाईं कारण स्वास्थ्य ज्यादा खराब है। हम सब उनकी पुरानी वोटिंग की चर्चा करते रहे कि उन्हें कांग्रेस के लिए भाई पर भी विश्वास नहीं था।