मैं बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकल रहा हूँ ताकि मैं, अनावश्यक भीड़ न बनूँ मैं बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकल रहा हूँ ताकि मैं, अनावश्यक भीड़ न बनूँ
सचमुच आदमी के सपनों की दुनिया में उसकी किताब एक चमकता हुआ सिक्का है। सचमुच आदमी के सपनों की दुनिया में उसकी किताब एक चमकता हुआ सिक्का है।
वह तो बालक है बस अपनी दुनियाँ में खुश, वह तो बालक है बस अपनी दुनियाँ में खुश,
भाई पर भी विश्वास नहीं था। भाई पर भी विश्वास नहीं था।
और बेटियों को अपनी ही बेटी जैसा प्यार एवं मार्गदर्शन प्रदान करते हो। और बेटियों को अपनी ही बेटी जैसा प्यार एवं मार्गदर्शन प्रदान करते हो।
उनकी आँखें अब सूनी थी, उसमें अब इंतज़ार भी नहीं था। उनकी आँखें अब सूनी थी, उसमें अब इंतज़ार भी नहीं था।