महिलाओं का सशक्तिकरण
महिलाओं का सशक्तिकरण
सशक्तिकरण का अर्थ है ऐसी योग्यता आना जिससे वह अपने जीवन के फैसले स्वयं ले सके। नारी सशक्तिकरण यानी नारियों को अपने फैसले स्वयं लेने का अधिकार मिलना।लेकिन नारी परिवार और समाज के सभी बंधनों से कहाँ मुक्त हो पाई है। उसके फैसले आज भी पुरुष वर्ग ही लेता है।
महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता इसलिये पड़ी क्योंकि हमारे यहाँ पुरुष प्रधान समाज था। महिलाओं पर परिवार और समाज द्वारा अत्याचार, भेदभाव किया गया। प्राचीन काल से चले आ रहे गलत और पुराने रिति-रिवाजों के करण नारी दबती चली गई।
वैसे तो भातीय संस्कृति में माँ, बहन, पुत्री, पत्नी के रुप में महिला को पूजने की परंपरा है लेकिन पुरानी कुरीतियों के कारण वह आज भी निरीह सी जान पड़ती है। तभी तो बड़े पदों पर होने के बावजूद बलात्कार, शोषण यहाँ तक कि जला दी जाती है। अपराधी ढीली धाराओं के कारण और नाबालिग सिद्ध कर दिए जाने के कारण फिर ऐसा घृणित अंजाम देने के लिए अग्रसर हो जाते हैं। इसके लिए या तो कानून की लचर व्यवस्था को ठीक करना होगा या नारियों को स्वयं अपनी रक्षा हेतु प्रतिबद्ध होना होगा।
वो अपने फैसले ले कर अपने निर्णयों की निर्माता खुद बने और सशक्तिकरण के उच्च लक्ष्य को प्राप्त करे इसके लिये उसे बचपन से ही शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से मजबूत बनाना होगा। क्योंकि बचपन से ही यह शिक्षा मिलेगी तो नारी राष्ट्र के सर्वांगीण विकास में सहायक हो सकती है।
माता-पिता की अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी की वजह से बच्चियों का कम उम्र में विवाह कर देते हैं। उनको मात्र बच्चे पैदा करने की मशीन माना जाता है। महिलाओं को ही महिलाओं पर होने वाले दुर्व्यवहार, लैंगिक भेदभाव, सामाजिक अलगाव तथा हिंसा आदि को रोकने के लिये कदम उठाने चाहिए। महिला सशक्तिकरण का लक्ष्य पूरा करने के लिए हमें कन्या भ्रूण हत्या की समस्या को दूर करना होगा।
भारत के संविधान में लिखे हुए समानता के अधिकार देकर महिलाओं को सशक्त बनाना और विभिन्न बुराईयों को मिटाना सबसे अच्छा उपाय है। नारी-पुरुष का भेदभाव सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक भेदभाव लाता है। आज सरकार भी नारी सशक्तीकरण के लिए बहुत से कदम उठा रही है।
हमारा देश विश्व में आर्थिक उन्नत देशों में शामिल हुआ है इस कारण उसे महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को पूरा करना होगा। क्योंकि इसी के द्वारा देश में लैंगिग समानता और आर्थिक तरक्की को प्राप्त किया जा सकता है।महिला सशक्तिकरण की प्राप्ति तभी होगी जब नारी भी स्वच्छंद रूप से बिना भय के यहाँ-वहाँ जाकर काम कर सके।