वाह री मानसिकता
वाह री मानसिकता
विद्यालय से छुट्टी के समय सब ऑटो में बैठकर किसी के घर जा रहे थे। लोहड़ी के त्यौहार के बाद खाने पर बुलाया था। खाना बड़ा स्वादिष्ट था सबने खूब छक कर खाया। थोड़ी देर बातें हँसी-मज़ाक चलता रहा। समय कैसे बीत गया पता ही नहीं चला
घर की मालकिन बाहर खड़ी थी कारण सारी महिलाएँ जा रही थीं। बाहर उसका चार साल का बेटा बच्चों के साथ खेल रहा था। उसी समय माँ ने कहा- "टीटू नोजी पोंछ लो। टीटू नोजी पोंछ लो।" कारण उसकी नाक बह रही थी जो होंठ को छू रही थी। बच्चा नहीं समझ पा रहा था और बोला "तुसी की कह रहे हो मैनू नी पता।" माँ खिसिया सी गई और ज़ोर से बोली "नकड़ा पोंछ" तब वह समझ पाया। हम सब एक दूसरे की ओर देखने लगे। लगा कि वाह री मानसिकता।