माहेनो माहेरा मस्तीखोर
माहेनो माहेरा मस्तीखोर
बच्चों का बाल मन बड़ा विचित्र होता है उनका मन बहुत ही निश्छल और पवित्र होता है,
मेरी नातिनों का बड़ी बारीकी से अध्ययन किया है मैंने बड़ी नातिन माहेनो करीब 10 साल की हुई है और छोटी अभी पांचवें साल में आई है माहेरादोनों में पांच साल का डिफरेंस है मगर छोटी बहन अपनी बड़ी बहन से एक क़दम आगे रहती हैं। बहन की तरह बुक पढ़ना, या स्कूल में टीचर्स की साड़ी की नक़ल करना । नानी आपके दुप्पा (दुप्पटा) से मुझे साड़ी पहना दो ना। एक दिन का किस्सा है माहेनो स्कूल से रोज़ आकर माहेरा को अलग -अलग वर्ड्स सीखाती थी माहेरा वो अक्सर रिपीट कर देती थी।
एक दिन माहेरा अपने स्कूल से आकर बताती है नानी, ममा आपको पता है, मेरी टीचर्स ने हमें बताया आज महात्मा गांधी जी की बर्थडे है कौनसा मालूम, हमनें दोनों ने भोले बन कर पूछा कौनसा बर्थडे है तो बताती है, वो हे ना वन फाइप ज़ीरो अरे वाह हमें तो मालूम ही नहीं था।
माहेरा का मासूमियत कहें या बाल मनोविज्ञान कहें, माहेनो की शरारतें बढ़ने से माहेरा तेज़ होती जा रही थी, बड़ी बहन की बातें रिपीट करते-करते सीखने लगी थी। एक दिन माहेनो ने आते ही माहेरा को कहा माहेराअप्पी जो कहेगी, रिपीट करोगी ना माहेरा भोले पन से हां अप्पी। माहेनो कहती है माहेराबोलो "माहेरा गधी है।"
माहेरा का जवाब सुनिए, अप्पी गधी है। ये जवाब सुन कर मैं, मेरी बेटी हंस-हंस कर लोट-पोट हो गए और माहेनो का बुरा हाल था।