Dravin Kumar CHAUHAN

Abstract

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Dravin Kumar CHAUHAN

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लव

लव

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हमसे कहती थी ओ कि हमें तुमसे लव है लेकिन वह झूठ कहती थी एक वक्त गुजरने के बाद हमें नजरअंदाज करते हुए किसी और की बाहों में चली गई हमें तड़पती हुई छोड़ गई हमने उससे पूछा आपने तो कहा था कि मैं लव करती हूं आपसे उसने मुस्कुराकर कहा आपने इसे दिल से ले लिया था क्या मैंने तो यूं ही मजाक में कहा था उसका मजाक कर मेरा दिल पर लेना एक अरसा गुजर गया किसी और को फिर नजर उठा कर ना देखा उसे दिल में सीरत बनाकर रखा देवी बनाकर रखा था मेरा प्यार उसके साथ जिस्म का नहीं रुह का था वह तो अपने जैसा हमें समझ बैठे हमें अपना बनाकर बेगाना बना कर चली गई क्या आजकल के ही लव है अगर यही लव है तो हम मना करते हैं और हम लव नहीं सीधे शादी करेंगे फिर लव करेंगे


लव यू रिद्धि सिंह जी


आपका

द्रविण कुमार चौहान



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